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ग्वालियर फोर्ट व विदिशा के मंदिरों की वास्तुकला पर बनाईं पेंटिंग्स का प्रदर्शन

पेशे से वकील सिद्धि निगम ने इंडियन आर्किटेक्चर से प्रभावित होकर बनाईं पेंटिंग्स

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में पेंटिंग आर्टिस्ट सिद्धि निगम की पेंटिंग्स की एग्जीबिशन 21 जुलाई तक आयोजित की गई। इसमें सिद्धि ने पिछले 5 साल में किए आर्ट वर्क को प्रस्तुत किया जो उन्होंने अलग – अलग समय में की यात्रा के दौरान देखा था। सिद्धि कहती हैं, मैं भारत के किले व मॉन्यूमेंट्स को देखकर उन्हें पेंटिंग में उतारती हूं क्योंकि मुझे उनकी वास्तुकला आकर्षित करती है। मैं अपनी हर पेंटिंग के साथ याद के रूप एक कविता भी लिखती हूं ताकि मुझे स्मृति में रहे कि जिस वक्त मैं पेंटिंग कर रही थी, उस वक्त मेरे मन में पेंटिंग को लेकर क्या चल रहा था।

मिनिएचर बूंदी शैली

राजस्थानी बूंदी शैली में मिनिएचर पेंटिंग की गई है। इस शैली में सतरंगी चित्रण होता है। इस शैली में पशु-पक्षियों का श्रेष्ठ चित्रण हुआ है, इसलिए इसे पशु-पक्षियों की चित्रशैली भी कहा जाता है।

ग्वालियर का किला

ग्वालियर किले में बहुत सी कलाओं का समागम देखने को मिलता है। जैन मूर्तियों से लेकर रानी निवास, मंदिर, राजाओं की शिल्प कला की समझबूझ ने मुझे इसे पेंट करने के लिए प्रेरित किया।

मालादेवी मंदिर

विदिशा के ग्यारसपुर में मालादेवी मंदिर भी है जो कुछ समय जैन मंदिर भी रहा था। यह गुप्तोत्तर वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह चट्टान को काटकर बनाया गया मंदिर है जो गुर्जर प्रतिहार शैली में बना है।

पेंटिंग्स इतनी खूबसूरत थीं कि लग ही नहीं रहा था कि इन्हें पेंट किया गया है, बल्कि यह फोटोग्राफ्स लग रहे थे। किलों व महलों की इतनी बारीक नक्काशी को कैनवास पर उकेरना बहुत ही कठिन रहा होगा। भारतीय वास्तुकला को प्रदर्शित करती यह शानदार प्रदर्शनी है। -युसरा अकील, दर्शक

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