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डियाजियो ने प्रतिबंध हटवाने के लिए कार्ति चिदंबरम की कंपनी को किया 15,000 डॉलर का भुगतान- सीबीआई

नई दिल्ली। सीबीआई ने शराब निर्माता कंपनी डियाजियो और निवेश फर्म सिक्वॉया कैपिटल पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की कंपनी को संदिग्ध भुगतान करने का आरोप लगाया है। सीबीआई का दावा है कि यह राशि सरकारी फैसलों को अपने पक्ष में कराने के उद्देश्य से दी गई। मामला पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2008 में हुए एक निवेश अनुमोदन और डियाजियो पर लगे प्रतिबंध से संबंधित है।

डियाजियो ने प्रतिबंध हटाने के लिए किया 15,000 डॉलर का भुगतान

सीबीआई के अनुसार, डियाजियो स्कॉटलैंड ने 2005 में अपने उत्पादों पर लगे प्रतिबंध को हटवाने के लिए कार्ति चिदंबरम की कंपनी को 15,000 डॉलर का भुगतान किया। इस राशि को कंसल्टेंसी फीस के रूप में दिखाया गया। हालांकि, सीबीआई ने आरोप लगाया कि यह भुगतान सरकारी अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए किया गया था।

2005 में भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) इम्पोर्टेड ड्यूटी-फ्री शराब की बिक्री में एकाधिकार रखता था, उसने डियाजियो के उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके कारण डियाजियो को भारी नुकसान हुआ। प्रतिबंध हटाने के लिए कंपनी ने कथित तौर पर कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया।

सिक्वॉया कैपिटल पर संदिग्ध लेन-देन का आरोप

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया है कि सिक्वॉया कैपिटल की मॉरीशस इकाई ने 2008 में भारत में एक निवेश अनुमोदन प्राप्त करने के लिए कार्ति चिदंबरम की कंपनी के साथ संदिग्ध लेन-देन किया। यह प्रस्ताव नवंबर 2008 में पी चिदंबरम द्वारा स्वीकृत किया गया था, जब वे देश के वित्त मंत्री थे।

चिदंबरम परिवार की चुप्पी

इस मामले में कार्ति चिदंबरम ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। उस समय वित्त मंत्री रहे कीर्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

डियाजियो और सिक्वॉया ने भी नहीं दी प्रतिक्रिया

डियाजियो की भारत स्थित यूनिट यूनाइटेड स्पिरिट्स ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, सिक्वॉया कैपिटल और डियाजियो की ब्रिटिश यूनिट ने भी सीबीआई के आरोपों पर चुप्पी साध रखी है।

भ्रष्टाचार-रोधी कानूनों के उल्लंघन की जांच

सीबीआई ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि क्या इस मामले में भारतीय आपराधिक कानूनों और भ्रष्टाचार-रोधी कानूनों का उल्लंघन हुआ है। भारत के भ्रष्टाचार-रोधी कानून के तहत सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने पर सात साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

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