व्यापार जगत

धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा का जन्मदिन आज: शून्य से पहुंचे शिखर तक, जानें दोनों की कहानी

आज भारत के 2 बड़े बिजनेस टायकून्स धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा का जन्मदिन है। रतन टाटा 85 साल के हो गए हैं, वहीं रिलायंस ग्रुप के फाउंडर धीरूभाई अंबानी का 90वां जन्मदिन है। धीरूभाई ने जहां कपड़े के कारोबार से शुरुआत कर एनर्जी, रिटेल से लेकर मीडिया-एंटरटेनमेंट और डिजिटल सर्विस में भी कामयाबी हासिल की है। इसी तरह रतन टाटा ने भी कई मोर्चे पर सफलता हासिल की। उन्‍होंने भारत की पहली एसयूवी टाटा सफारी को लॉन्‍च किया।

धीरूभाई ने की 300 रुपए की नौकरी से शुरुआत

28 दिसंबर 1932 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में जन्में धीरूभाई अंबानी ने एक समय पर पेट्रोल पंप पर 300 रुपए की नौकरी की थी। वहीं जब उनकी मृत्यु हुई, तब वे करोड़ों रुपए के मालिक थे। 17 साल की उम्र में वे पैसे कमाने के लिए साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास देश से बाहर यमन चले गए थे। जहां उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर नौकरी की।

1954 में लौट आए भारत

1954 में वे भारत वापस लौट आए और यहां आकर रिलायंस की शुरुआत की। जेब में 500 रुपए लेकर माया नगरी मुंबई का रुख कर लिया। उन्होंने 8 मई 1973 को अपनी कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन के नाम से शुरू कर दी। इसके जरिए भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचा जाने लगा। साल 2000 के दौरान ही अंबानी देश के सबसे रईस व्‍यक्ति बनकर भी उभरे।

साल 2002 में हुआ था निधन

6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था। इसके बाद उनके द्वारा खड़े किए गए विशाल कारोबारी साम्राज्य का जिम्मा उनके दो बेटों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने संभाल लिया।

रतन टाटा ने कही थी ये बात

रतन टाटा 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में अमीर परिवार में जन्में थे, लेकिन उन्‍होंने अपनी जिंदगी में संघर्ष और मेहनत के दम पर ही सफलता पाई है। उन्‍होंने कहा था अगर आप तेज चलना चाहते हैं तो अकेले चलें, लेकिन अगर आप दूर तक जाना चाहते हैं, तो सबके साथ चलें।

Ford के चेयरमैन ने उड़ाया था मजाक

रतन टाटा ने 1998 में हैचबैक कार इंडिका को मार्केट में उतारा, लेकिन ये लॉन्‍च बुरी तरह फेल हो गया। उन्होंने पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का ही फैसला कर लिया। इसके लिए उन्होंने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी Ford Motors से बात की थी।

रतन टाटा के इस फैसले को लेकर लग्जरी कार निर्माता कंपनी Ford के चेयरमैन Bill Ford ने उनका मजाक उड़ाया था। फोर्ड ने अपमान करते हुए कहा था, ‘तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैसेंजर कार डिविजन क्यों शुरू किया? अगर मैं ये सौदा करता हूं तो ये तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा।’

नौ साल बाद ऐसे लिया बदला

फोर्ड चेयरमैन के ये शब्द सुनने के बाद रतन टाटा ने कार डिविजन को बेचने का निर्णय टाल दिया और Bill Ford को ऐसा सबक सिखाया, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी। उनकी मेहनत रंग लाई और करीब नौ साल बाद यानी 2008 में उनकी टाटा मोटर्स दुनिया भर के मार्केट में छा चुकी थी और कंपनी की कारें वेस्ट सेलिंग कैटेगरी में सबसे ऊपर आ गई थीं।

एक वक्त ऐसा आया जब बिल फोर्ड के नेतृत्व वाली Ford Motors की हालत पतली हो चुकी थी। कंपनी को उबारने के लिए वे रतन टाटा के पास आए। जब फोर्ड बड़े नुकसान में थी तो 2008 में ही टाटा चेयरमैन रतन टाटा ने चेयरमैन को उनकी कंपनी की सबसे लोकप्रिय जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को खरीदने का ऑफर दे दिया। आज जैगुआर और लैंड रोवर कारें टाटा मोटर्स की सबसे सक्सेसफुल सेलिंग मॉडल्स में एक हैं।

व्यापार जगत की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें…

संबंधित खबरें...

Back to top button