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यूनियन कार्बाइड का कचरा उठाने केंद्र से मांगे 126 करोड़

भोपाल। राज्य सरकार ने यूनियन कार्बाइड के जहरीला कचरा उठाने और उसे नष्ट करने के लिए केन्द्र सरकार से 126 करोड़ रुपए की डिमांड की है। राशि आने के बाद ही यह कचरा इंसीनरेटर के जरिए नष्ट किया जाएगा। इसे इंसीनरेटर तक पहुंचाने और इसे नष्ट करने के लिए सरकार से टेंडर करने की तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश में इस तरह के जहरीली कचरे को नष्ट करने का इंसीनरेटर पीथमपुर में है। केन्द्र सरकार ने कचरे को नष्ट करने के संबंध में हाल ही में मंजूरी दी है।

यूनियन कार्बाइड कारखाने में 337 लाख मीट्रिक टन जहरीला कचरा है। इसे यहां से सुरक्षित तरीके से इंसीनरेटर तक लेकर जाने और उसे वहां नष्ट करने पर 120 करोड़ से अधिक राशि खर्च होने का अनुमान है। राज्य सरकार कचरा यहां से हटने और उसे नष्ट करने के संबंध में पिछले पांच वर्षो से प्रयास कर रही है। इसके हटाने और नष्ट करने की विधि का राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकीय अनुसंधान संस्थान (नीरी) सहित तमाम संस्थाओं के वैज्ञानिकों से अध्ययन कराया है। जिससे इसका प्रभाव आम जनता पर न पड़े। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर इस कचरे को हटाया जाएगा।

पीसीबी के पूर्व अध्यक्ष के चक्कर में 3 वर्ष हुआ लेट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी )के पूर्व अध्यक्ष अनिरुद्ध मुखर्जी की कार्यप्रणाली के चलते कचरा हटाने का मामला तीन वर्ष तक अटका रहा। दरअसल गैस राहत विभाग ने कचरे को हटाने के लिए टेंडर जारी किया गया था। एक निजी कंपनी ने 120 करोड़ रुपए का कोट किया। इस दौरान उन्होंने केन्द्र सरकार को एक पत्र लिखकर बताया कि इसके नष्ट करने की प्रक्रिया ठीक नहीं है। इसके अलावा यह भी कहा कि नष्ट करने की राशि बहुत ज्यादा है। इससे केन्द्र सरकार ने इस प्रक्रिया को रोक दी थी। बाद में राज्य सरकार ने केन्द्र के पास फिर से प्रस्ताव भेजा और इसमें कहा कि वैज्ञानिकों के द्वारा दिए गए सुझाव ठीक हैं, इसी पद्धति से कचरे को नष्ट किया जा सकता है।

90 टन कचरा केमिकल बेस्ड है, जो बहुत ही जहरीला है, क्योंकि यह कचरा पाइप और प्लांट और टैंक में है। इसके अलावा प्लांट के अंदर और आस-पास 250 टन मिट्टी भी टॉक्सी वेस्ड है। वर्ष 2015 में पीथमपुर में एक टन कचरा रेमकी कंपनी इंसीनरेटर के जरिए नष्ट करने की टेस्टिंग की गई है, ये विधि सफल रही है। कचरा नष्ट करने के लिए वर्ष 2015 के बाद से कोई काम नहीं हुआ। -अनन्य प्रताप सिंह, सदस्य जहरीली गैस कांड संघर्ष मोर्चा मप्र

संयंत्र की जमीन में मौजूद रसायन भू-जल में घुल रहे हैं और इससे यहां के निवासी धीरे-धीरे जहर का शिकार बन रहे हैं। इससे लगातार उपयोग से त्वचा में संक्रमण के साथ लंग्स, किडनी, लिवर में गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। -डॉ. आदर्श वाजपेयी, एमडी मेडिसिन

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