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दिल्ली जल बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस : राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई आज, ED की चार्जशीट पर लिया एक्शन; कहा- आरोपियों के खिलाफ काफी सबूत हैं

नई दिल्ली। दिल्ली जल बोर्ड टेंडर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की चार्जशीट पर राउज एवेन्यू कोर्ट आज सुनवाई करेगा। 3 अप्रैल को स्पेशल जज भूपेंद्र सिंह ने चार लोगों और एक कंपनी के खिलाफ दाखिल ED की चार्जशीट पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को 4 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। ईडी ने चार्जशीट में जगदीश अरोड़ा, अनिल अग्रवाल और चार्टर्ड अकाउंटेंट तेजेंद्र सिंह के साथ अन्य लोगों को आरोपी बनाया है।

आरोपियों के खिलाफ काफी सबूत हैं :  कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि, चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ केस चलाने काफी सबूत मौजूद हैं। चार्जशीट से लगता है कि सभी आरोपी व्यक्ति/कंपनी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जल बोर्ड टेंडर घोटाले में शामिल रहे हैं। जिसके आधार पर इन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।

इस मामले में जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में तजिंदर पाल सिंह और देवेंदर कुमार मित्तल को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। कोर्ट ने इन दोनों के खिलाफ समन जारी किया है। वहीं जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया।

ED ने 30 मार्च को दाखिल की थी पहली चार्जशीट

प्रवर्तन निदेशालय ने जल बोर्ड केस में पहली चार्जशीट 30 मार्च को दाखिल की थी। जिसमें जल बोर्ड के पूर्व इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा, कॉन्ट्रेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल, NBCC इंडिया लिमिटेड कंपनी के पूर्व जनरल मैनेजर डीके मित्तल, NKG इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और तेजिंदर सिंह को आरोपी बनाया गया है।

मामला दिल्ली जल बोर्ड के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटरों की खरीदी से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का है। इसमें एक कंपनी और 4 लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। CBI ने बोर्ड की टेंडर प्रोसेस में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले में जुलाई 2022 में FIR दर्ज की थी। CBI की FIR को आधार बनाकर ED ने दिल्ली जल बोर्ड की टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के दो अलग-अलग मामलों की जांच शुरू की थी।

दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस में ईडी ने सीएम के निजी एसिस्टेंट बिभव कुमार, आम आदमी पार्टी के ट्रीजरर और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ फरवरी महीने में छापेमारी की थी। दिल्ली जल बोर्ड के सदस्य शलभ कुमार पर भी रेड की गई थी। ईडी ने बोर्ड के चीफ इंजीनियर जगदीश अरोड़ा और एक अनिल कुमार को गिरफ्तार भी किया था।

क्या है पूरा मामला

ED के मुताबिक, जांच में पता चला कि मेसर्स एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने जाली/नकली/झूठे दस्तावेज जमा करके बोली हासिल की। 15 दिसंबर 2017 को दिल्ली जल बोर्ड में इलेक्ट्रोमैग्नेट फ्लो मीटर के लिए मेसर्स एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 5 साल के ऑपरेशन के लिए ठेका दिया गया था। इसमें सप्लाई, इंस्टालेशन, टेस्टिंग और कमिशनिंग भी शामिल थी। जिस कंपनी को ठेका दिया, वह मानदंडों को पूरा नहीं करती थी। ठेके की कुल कीमत 24 करोड़ से ज्यादा थी। ठेका देने के बदले आरोपियों ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और मेसर्स इंटीग्रल स्क्रूज इंडस्टरीज से तीन करोड़ रुपए लिए थे। एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अपना ठेका अनिल अग्रवाल की फर्म मेसर्स इंटीग्रल स्क्रूज लिमिटेड को दे दिया था।

ईडी ने यह भी कहा था कि, दिल्ली जलबोर्ड को मिलने वाले 24 करोड़ रुपए के भुगतान में से केवल लगभग 14 करोड़ रुपए कॉन्टैक्ट के काम पर खर्च किए गए और शेष राशि रिश्वत के रूप में खर्च कर दी गई। ईडी के मुताबिक, जगदीश कुमार अरोड़ा को 3.19 करोड़ रुपए की रिश्वत मिली, जिसमें कुछ कैश और कुछ बैंक ट्रांसफर किया गया था। इसमें से उन्होंने 2 करोड़ रुपए दिल्ली जल बोर्ड के अन्य अधिकारियों और आम आदमी पार्टी को चुनाव के खर्च के लिए ट्रांसफर कर दिए।

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