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भारत के ऐतराज के बावजूद बाज नहीं आ रहा अमेरिका : पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी का मुद्दा, फिर कांग्रेस के फ्रीज बैंक खाते… बोला- हम अपने स्टैंड पर कायम, निष्पक्ष जांच हो

नई दिल्ली। भारत की कड़ी आपत्ति के बाद भी अमेरिका ने एक बार फिर भारत के आंतरिक मामले को लेकर टिप्पणी की है। केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले में अमेरिका ने एक बार फिर बयान दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बुधवार को कहा कि, हम अपने स्टैंड पर कायम हैं और इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस के बैंक खातों को सीज करने के मामलों पर अमेरिका करीबी नजर रखे हुए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब बुधवार को ही भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में अमेरिकी डिप्लोमैट ग्लोरिया बारबेना को तलब किया था। उनके बीच करीब 40 मिनट तक बैठक हुई थी।

हम अपने स्टैंड पर कायम हैं : अमेरिका

अमेरिका ने पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को और अब अमेरिका ने कांग्रेस पार्टी के फ्रीज बैंक अकाउंट को लेकर अपनी राय व्यक्त की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि, हम किसी निजी राजनयिक बातचीत के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। अमेरिका हर मुद्दे के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है। हम अपने स्टैंड पर कायम हैं और इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

भारत ने अमेरिकी डिप्लोमैट को किया था तलब

अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब बुधवार को ही इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी डिप्लोमैट ग्लोरिया बारबेना को तलब किया था। उनके बीच करीब 40 मिनट तक बैठक हुई थी। इससे जुड़े एक सवाल पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा- मैं कूटनीतिक बातचीत की जानकारी नहीं दे सकता।

दरअसल, अमेरिका मंगलवार (26 मार्च) की रात भी सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में बयानबाजी कर चुका है। उन्होंने कहा था कि, केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले पर हमारी सरकार नजर बनाए हुए है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस दौरान कानून और लोकतंत्र के मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए। अमेरिका की टिप्पणी के बाद भारत ने बुधवार को इस मुद्दे को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

भारत के विदेश मंत्रालय का बयान

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताता है। उन्होंने कहा कि, कूटनीति में उम्मीद की जाती है कि देश एक-दूसरे के आंतरिक मसलों और संप्रभुता का सम्मान करेंगे। साथ ही लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है, नहीं तो अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है।

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा था- भारत में कानूनी प्रक्रिया एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित है। उस पर कलंक लगाना या सवाल उठाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।

जर्मनी ने क्या कहा था ?

इससे पहले 23 मार्च को इस मामले में जर्मनी का बयान भी सामने आया था। जर्मनी ने कहा था- ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है, हमें उम्मीद है कि यहां न्यायालय आजाद है। केजरीवाल के मामले में भी लोकतंत्र के उसूलों का पालन किया जाएगा, उन्हें बिना रुकावट कानूनी मदद मिलेगी। आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह केजरीवाल भी निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं। जब तक दोष साबित न हो तब तक किसी भी शख्स को निर्दोष मानने के कानूनी सिद्धांत का पालन होना चाहिए।’

जर्मनी के बयान के बाद भारत ने जर्मन दूतावास के उप प्रमुख जॉर्ज एन्जवीलर को तलब करके नाराज़गी जताई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि, भारत के आतंरिक मामलों में दखलंदाजी न करें। हम इस तरह के बयानों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में दखल मानते हैं। इस तरह के बयान को हम हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं। भारत एक ताकतवर लोकतंत्र है, जहां कानून का पालन होता है। इस मामले (केजरीवाल की गिरफ्तारी) में भी दूसरे मामलों की तरह कानून के तहत कार्रवाई होगी।

21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे CM केजरीवाल

शराब नीति घोटाला मामले में ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें शुक्रवार (22 मार्च) को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया, वे 28 मार्च तक ED की हिरासत में हैं। केजरीवाल ED कस्टडी से सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में पेशी के समय कहा था कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और जरूरत पड़ी तो जेल से सरकार चलाएंगे।

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