
झुंझुनू। राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां रोहिताश नामक एक दिव्यांग और मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। शव को पोस्टमार्टम के बाद चार घंटे तक मोर्चरी के डीप फ्रीजर में रखा गया। लेकिन जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तभी वह अचानक जिंदा हो गया। मामले में लापरवाही बरतने वाले तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया।
जयपुर के अस्पताल में दोबारा हुई मौत
21 नवंबर की सुबह बेहोशी की हालत में रोहिताश को इलाज के लिए सरकारी बीडीके अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसके बाद शव को बीडीके अस्पताल की मोर्चरी में शिफ्ट करवा दिया गया।
शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार के लिए संस्थान को सुपुर्द किया गया था, लेकिन अंतिम संस्कार पर ले जाने के दौरान मृत रोहिताश सांसे चलती हुई दिखीं। फौरन रोहिताश को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद, शव को जयपुर के एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया।
तीन डॉक्टर किए गए सस्पेंड
इस मामले में झुंझुनू के बीडीके अस्पताल के तीन डॉक्टरों डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश जाखड़ और डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए तीनों डॉक्टरों का निलंबन आदेश जारी किया। बीडीके अस्पताल के पीएमओ सहित तीनों डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। जिला कलेक्टर रामवतार मीणा ने इसे बड़ी लापरवाही मानते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट सरकार को भेजी थी, जिसके बाद सरकार ने देर रात दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की।
तहसीलदार और एसएचओ ने की मामले की जांच
घटना की जांच के लिए तहसीलदार और बगड़ थानाधिकारी को अस्पताल भेजा गया। रिपोर्ट में सामने आया कि घटना के समय अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे को घुमा दिया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने दोषियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है। सजा के रूप में, निलंबन काल के दौरान डॉ. संदीप पचार का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जैसलमेर, डॉ. योगेश जाखड़ का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस बाड़मेर और डॉ. नवनीत मील का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जालोर किया गया है।
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।