
शुशांत पांडे-ग्वालियर। पुलिस की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक जुलाई से प्रदेश भर में दर्ज होने वाले अपराधों के एविडेंस ई-साक्ष्य ऐप में स्टोर किए जाएंगे। यह एप्लीकेशन सेंट्रल की एनसीआरबी शाखा से जुड़ी रहेगी जिसकी मध्यप्रदेश में मॉनिटरिंग स्टेट क्रिमनल रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा की जाएगी। अहम बात यह है कि 1 जुलाई से प्रकरणों में आईओ (इंवेस्टीगेशन ऑफिसर) अब कथन से लेकर, तलाशी, जब्ती का रिकॉर्ड इसी ऐप में दर्ज करेंगे।
इस व्यवस्था से फायदा
इस व्यवस्था से प्रकरण के न्यायालय में पहुंचते ही साक्ष्य प्रस्तुति की परेशानी नहीं होगी और प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेजों को एक क्लिक में देख जा सकेगा। पिछले एक सप्ताह में सीसीटीएनएस विभाग द्वारा विवेचक स्तर के पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। पुलिस विभाग ने ऐप को ऑपरेट करने की तैयार कर ली है ।
टाइम लिमिट: 48 घंटे के भीतर दर्ज होंगे सबूत
तकनीकी सबूतों के लिए काम करने वाली ई-साक्ष्य एप्लीकेशन में पुलिस के लिए समय की बाध्यता रहेगी। इस ऐप में एफआईआर दर्ज होने के 48 घंटे के भीतर विवेचकों को उससे जुड़े साक्ष्य पेश करने होंगे। वहीं लेटलतीफी होने पर जवाबदेही भी विवेचकों की होगी।
ई-साक्ष्य में रहेंगी यह विशेषताएं
- घटना स्थल के फोटो-वीडियो।
- आरोपी के स्टेटमेंट की रिकॉर्डिंग।
- तलाशी से लेकर जब्ती तक की वीडियोग्राफी।
मोबाइल में सेव नहीं होगा डेटा
इस ऐप की खासियत यह है कि इसमें विवेचकों के मोबाइल की स्टोरेज बैंक नहीं भरेगी, विवेचक एफआईआर से जुड़े जो भी एविडेंस ई-साक्ष्य ऐप में अपलोड करेगें, वह सीधे ऐप के सर्वर में सेव हो जाएंगे जो सेंट्रलाइज है। मामला कोर्ट में जाते ही सर्वर में एफआईआर नंबर डाले जाने पर सभी साक्ष्य सामने होंगे।
ई-साक्ष्य ऐप से पुलिस की पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं न्यायालय में सबूत पेश करना भी आसान होगा। हमने जिले भर के समस्त विवेचकों को इस ऐप को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग दे दी है। -अरविंद सक्सेना, एडीजी ग्वालियर जोन