ग्वालियर/भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला बनकर शुभारंभ के लिए तैयार है। इस गौशाला में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (IOC) के सहयोग से 2 हेक्टेयर क्षेत्र में बायो सीएनजी प्लांट स्थापित हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अक्टूबर को सुबह 10 बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम से लाल टिपारा स्थित नए बायो सीएनजी प्लांट का वर्चुअली लोकार्पण करेंगे।
इस प्लांट के संचालन के लिए 100 टन गोबर का उपयोग कर 3 टन तक सीएनजी प्रति दिन और सर्वोत्तम गुणवत्ता का जैविक खाद 20 टन प्रतिदिन मिलेगा। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन प्लांट के संचालन एवं संधारण में भी सहयोग देगा।
32 करोड़ की लागत से हुआ निर्माण
इस गौशाला के निर्माण पर कुल 32 करोड़ रुपये की लागत आई है, जो इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सामाजिक जिम्मेदारी निधि से उपलब्ध कराई गई है। भविष्य में संभावित विस्तार के लिए 1 हेक्टेयर भूमि भी आरक्षित रखी गई है। इसके अलावा, सांसद निधि से 2 करोड़ रुपये की राशि 2 हजार गायों के लिए आधुनिक शेड के निर्माण हेतु दी गई है।
मुख्यमंत्री ने जताया आभार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी “वेस्ट टू वेल्थ” के विकास दर्शन के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने गायों की देखभाल करने वाले संतों तथा श्रद्धालुओं के समुदाय को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार इस पहल के विस्तार के लिए हर संभव सहयोग देगी।” यहां यह याद रखना जरूरी है कि इंदौर में एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी संयंत्र चालू है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया था।”
गौशाला से होगी करोड़ों की कमाई
ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला आदर्श गौशाला के रूप में स्थापित की गई है, जिसमें ग्वालियर नगर निगम और संत समुदाय के सहयोग से 10 हजार गायों की देखभाल की जा रही है। इसके साथ ही, बायो सीएनजी प्लांट के निकट इंक्यूबेशन सेंटर भी जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस संयंत्र से प्रतिदिन करीब 2 से 3 टन बायो सीएनजी और 20 टन जैविक खाद का उत्पादन होगा, जिससे ग्वालियर नगर निगम को लगभग 7 करोड़ रुपए की आय होगी। इससे गोबर का उपयोग करके गौशाला को आर्थिक सहारा मिलेगा और आसपास के जिलों के किसानों को जैविक खेती के लिए उचित मूल्य पर जैविक खाद प्राप्त होगी।
बायोगैस संयंत्र लगाने में MP तीसरे नंबर पर
केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, गांवों में बायोगैस संयंत्र लगाने में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है। राज्य में विभिन्न गांवों में 104 बायोगैस संयंत्र हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बैतूल में 24, बालाघाट में 13 और सिंगरौली में 12 बायोगैस संयंत्र हैं।