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कोरोना के सारे वैरिएंट पर अटैक करेगा कॉर्बेवैक्स का टीका

ओमिक्रॉन के वैरिएंट से लड़ने भारत में वैक्सीन बनाने की तैयारी, अभी अमेरिका में होती है तैयार

नई दिल्ली। कोरोना अपने अपने अलग रूपों में इंसानों को निशाना बनाता है, डेल्टा और ओमिक्रॉन के कहर को कोई नहीं भूल सकता है। दुनिया के कई देशों में कोरोना का सामना करने के लिए अलग-अलग टीके इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं, इन सबके बीच ओमिक्रॉन के एक्सबीबी.1.5 संस्करण समेत अन्य वैरिएंट से लड़ाई लड़ने के लिए कॉर्बेवैक्स को इस्तेमाल में लाया जा रहा है। भारत में भी करीब 1.5 करोड़ लोगों को इसके डोज दिए गए हैं। लेकिन अब इसका उत्पादन भारत में भी होगा। यह एक प्रोटीन सब यूनिट टीका है। टीके को कैलिफोर्निया की डायनावैक्स, बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन और एमरीविले ने मिलकर बनाया है। भारत में इसके तीसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत मांगी गई है। अगर इजाजत मिल गई तो इसका उत्पादन देश में होगा।

कार्बेवैक्स का नया संस्करण

कार्बेवैक्स को भारत में 5 से 80 साल तक के लोगों को दिया जा रहा है। हाल ही में सीडीआरआई की मीटिंग में इस वैक्सीन के भारत में ही उत्पादन पर चर्चा हुई थी। अब विशेषज्ञ कार्यसमिति मे क्लिनिकल ट्रायल की सिफारिश की है। यह कार्बेवैक्स का ही अपडेटेड संस्करण होगा। दरअसल इसकी कवायद इसलिए भी हुई है कि इसी साल जनवरी के महीने में अमेरिका में एक्सबीबी.1.5 की वजह से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई थी।

कोविशील्ड ब्रिटेन में हुई थी तैयार

कोविशील्ड को इंग्लैंड में विकसित किया गया था। भारत में इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के जरिए किया जाता है। आमतौर पर लोग कोवैक्सीन को कोविशील्ड की तुलना में कम हानिकारक मानते हैं। लेकिन अभी तक के रिसर्च के मुताबिक कोविशील्ड के भी साइड इफेक्ट ना के बराबर हैं।

कोवैक्सीन भारत बायोटेक ने बनाई

कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और एनआईवी के सहयोग से विकसित किया है। कोवैक्सीन का पारंपरिक पद्धति से तैयार किया गया है। इसमें निष्क्रिय वायरस का इस्तेमाल किया गया था। इसमें सार्स कोविड 2 स्ट्रेन के खिलाफ कोवैक्सीन इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट कर देता है, जो एंटीबॉडीज का निर्माण करता है।

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