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राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल : लोकसभा सचिवालय ने जारी की अधिसूचना, 4 जुलाई को सजा पर लगी थी रोक

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने मंगलवार (7 अगस्त) को अधिसूचना जारी की। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा और दोषसिद्धि को रद्द कर दिया था। मोदी सरनेम केस में 2 साल की सजा के बाद 24 मार्च को सांसदी चली गई थी।

कमलनाथ का आया रिएक्शन

पीसीसी चीफ कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा- गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के फ़ैसले का मैं स्वागत करता हूँ। अब संसद में हमें फिर वह सिंह गर्जना सुनने को मिलेगी जो जनता को अभय और लोकतंत्र विरोधियों को भय देती है। राहुल जी का एक ही मंत्र हम सबको याद रखना है- डरो मत।

https://twitter.com/psamachar1/status/1688425610035531776?t=ZjeBgiwTL-jg3D1Y0rTdOg&s=08

राहुल की संसद सदस्यता कर दी गई थी रद्द

23 मार्च को मानहानि केस में दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद 24 मार्च 2023 को उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी थी। राहुल ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। 4 अगस्त को कोर्ट ने इस केस में राहुल की सजा पर रोक लगा दी थी।

https://twitter.com/psamachar1/status/1688417906055413760?t=q5Vj-GrUT5vr1myXAGedog&s=08

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि, इस मामले में अधिकतम सजा क्यों? उन्हें कम सजा भी दी जा सकती थी। वे डिसक्वालिफाई नहीं होते। सजा 1 साल 11 महीने हो सकती थी। कोर्ट ने उन्हें भाषण देते वक्त सावधानी बरतने की सलाह दी, साथ ही कहा कि उम्मीद है वे आगे ध्यान रखेंगे।

सरकारी बंगला किया था खाली

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से ही जीतकर संसद पहुंचे थे। अयोग्यता का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लोकसभा सचिवालय ने 27 मार्च को उन्हें नोटिस भेजकर 22 अप्रैल तक सरकारी बंगला खाली करने को कहा था। राहुल ने अपने जवाब में कहा कि, मैं इस नोटिस का पालन करूंगा।

राहुल गांधी को सुनाई थी 2 साल की सजा

राहुल गांधी द्वारा मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी से जुड़े मानहानि केस में सूरत कोर्ट ने 23 मार्च को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी को दोषी करार करते हुए उन्हें 2 साल की सजा सुनाई और 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। जिसके तुरंत बाद उन्हें 30 दिन की जमानत भी मिल गई थी। राहुल गांधी ने कोर्ट में कहा कि- ‘बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी।’ कोर्ट ने 17 मार्च को इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।

सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने कोर्ट में कहा कि- मेरा इरादा गलत नहीं था। ”मैंने जो बोला, वो राजनेता के तौर पर बोला। मैं हमेशा देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाता रहा हूं।” सुनवाई के दौरान राहुल के वकील ने जज से अपील की थी कि, उनके बयान से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। ऐसे में इस मामले में कम से कम सजा सुनाई जाए। वहीं शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने इस मामले में अधिकतम सजा और जुर्माने की मांग की थी।

क्या है पूरा मामला

राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान ये बयान दिया था। 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था कि- नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?

राहुल के इस बयान को पूरे मोदी समाज का अपमान बताते हुए बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे।

ये भी पढ़ें- मोदी सरनेम केस : मानहानि मामले में राहुल की सजा पर सुप्रीम रोक, कोर्ट ने कहा- कम सजा भी दी जा सकती थी; कांग्रेस बोली- मोहब्बत जिंदाबाद

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