ताजा खबरभोपालमध्य प्रदेश

नाउम्मीद हुई कांग्रेस, वोटर बोले- मुद्दे बहुत पर भाजपा का विकल्प नहीं

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में 20 साल से भाजपा का कब्जा, सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त, इस बार वॉक ओवर!

पुष्पेन्द्र सिंह- भोपाल। कटनी जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अमित शुक्ला कहते हैं कि कांग्रेस के उच्च नेताओं ने खजुराहो लोकसभा सीट पर सपा को टिकट देकर हम नेताओं को निराश किया। अब जब सपा प्रत्याशी का फार्म ही निरस्त हो गया है, इसलिए भाजपा को समझो वॉक ओवर मिल गया। खजुराहो के दवा व्यवसायी जाहर सिंह कहते हैं कि युवाओं के सामने रोजगार का मुद्दा आज भी है पर भाजपा का कोई विकल्प नहीं है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा यहां से दूसरी बार मैदान में हैं। उनके सामने इंडिया गठबंधन ने सपा प्रत्याशी मीरा यादव को खड़ा किया था, पर शुक्रवार को नामांकन निरस्त हो गया।

जल संकट प्रमुख समस्या

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र की 81.78 फीसदी ग्रामीण और 18.22 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। क्षेत्र में जल संकट सबसे बड़ा कारण है।

केन-बेतवा से बड़ी उम्मीद: केन बेतवा लिंक परियोजना से क्षेत्र को सिंचाई और पीने का पानी मिलने की उम्मीद।

रिकॉर्ड मतों से जीतेंगे-वीडी

भाजपा प्रत्याशी वीडी शर्मा पूर्व में कह चुके हैं कि इस बार वे अपनी जीत के अंतर करीब पांच लाख को तोड़ेंगे। उनका कहना है कि खजुराहो क्षेत्र के विकास में उन्होंने बहुत काम किया है। वे जीत को लेकर आश्वस्त दिखे।

खजुराहो सीट के बारे में जानिए

मुद्दे कई रहे फिर भी बाहरी को मौका: खजुराहो लोकसभा सीट पर 20 साल से भाजपा का कब्जा है। हर बार वोटरों के सामने विकास का मुद्दा आया। स्थानीय मतदाता शमीउद्दीन कहते हैं कि यहां चंदेल कालीन मंदिर, हवाई अड्डा होने के बाद रेलवे स्टेशन की सौगात मिली है लेकिन बेरोजगारी आज भी बड़ा मुद्दा है। परन्तु अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के आगे मुद्दे शून्य हैं।

तीन जिलों की 8 विधानसभा सीटें : कुल आठ विधानसभा सीटें हैं। पन्ना जिले की पन्ना, पवई और गुन्नौर, कटनी जिले की मुड़वारा, बहोरीबंद और विजयराघवगढ़ और छतरपुर जिले की चंदला एवं राजनगर विधानसभा सीटें शामिल हैं। विस चुनाव 2023 में भाजपा यहां 8 सीटें जीती है। यहां के मतदाताओं ने तीन बार बाहरी तो एक बार स्थानीय भाजपा नेता को जीत दिलाई है।

यह है जातीय गणित: ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता प्रभावी भूमिका निभाते हैं, जबकि ओबीसी भी बहुसंख्यक हैं, जिसमें सबसे अहम कुर्मी मतदाता माने जाते हैं। एससी वर्ग का भी प्रभाव है। बीजेपी और कांग्रेस ब्राह्मण और राजपूत प्रत्याशी पर ही ज्यादा दांव लगाते हैं।

संबंधित खबरें...

Back to top button