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DLS मैथड बनाने वाले Frank Duckworth का निधन, 84 की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा

स्पोर्ट्स डेस्क। टी20 विश्व कप के बीच क्रिकेट की दुनिया से एक बुरी खबर सामने आई है। इंग्लैंड के सांख्यिकीविद् और डकवर्थ-लुईस-स्टर्न (DLS) नियम को तैयार करने वालों में शामिल फ्रेंक डकवर्थ का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।

‘ईएसपीएनक्रिकइंफो.कॉम’ की रिपोर्ट के अनुसार डकवर्थ का 21 जून को निधन हो गया। डकवर्थ ने अपने साथी सांख्यिकीविद् टोनी लुईस के साथ मिलकर डीएलएस पद्धति को तैयार किया था। इस नियम का इस्तेमाल बारिश से प्रभावित मैचों के लिए किया जाता है। टोनी लुइस का भी 4 साल पहले निधन हो चुका है।

क्यों दिया डकवर्थ-लुईस-स्टर्न नाम?

डकवर्थ-लुईस पद्धति को का इस्तेमाल बारिश से प्रभावित मैचों के नतीजे के लिए किया जाता है। डीएलएस पद्धति को साल 1997 में पहली बार किसी क्रिकेट मैच में लागू किया गया था। पहली बार जिम्बाब्वे और इंग्लैंड के मैच में इसे लागू किया था। इसके चार साल बाद यानी 2001 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट संघ (ICC) ने इसे हरी झंडी दिखाई थी, जहां ओवरों की संख्या में कटौती होती है।

फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस के संन्यास के बाद एक ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकीविद् स्टीवन स्टर्न ने इस पद्धति की बेहतरी के लिए कुछ सुधार किए। इसी कारण इस नियम को डकवर्थ-लुईस-स्टर्न नाम दे दिया गया। डकवर्थ और लुईस को जून 2010 में मेंबर ऑफ ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एंपायर (MBE) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

मैच के दौरान आने वाली बाधा में होता इस्तेमाल

डकवर्थ लुईस पद्धति को तब अमल में लाया जाता है जब बारिश या किसी अन्य कारण से मैच जारी रखने में बाधा आ जाए। समय बचाने के लिए ओवरों में कटौती कर दी जाती है, ऐसे में कई डीएलएस नियम को लागू करते वक्त कई पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है। जैसे किसी टीम के कितने विकेट बाकी हैं, कितने ओवर बीत चुके हैं और इसके अलावा भी कई अन्य पहलुओं पर गौर किया जाता है।

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