ताजा खबरराष्ट्रीय

क्या लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा CAA…! इन नियमों के तहत रद्द हो सकती है नागरिकता, जानें किसके लिए क्या बदल जाएगा

नई दिल्ली। देश में नागरिकता (संशोधन) कानून CAA को लेकर एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर बड़ा दावा करते हुए कहा- ‘मैं गारंटी दे रहा हूं कि सीएए 7 दिन के अंदर देश में लागू कर दिया जाएगा’। यह बात उन्होंने पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना के काकद्वीप में हुए कार्यक्रम के दौरान कही। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ये देश का कानून है और इसे हर हाल में लागू किया जाएगा।

लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा CAA!

बता दें कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) CAA कानून पर 5 साल पहले ही मुहर लग गई थी। लेकिन ये कानून अब तक लागू नहीं हो पाया है। इस महीने की शुरुआत में खबर आई थी कि सीएए के नियम केंद्र के पास तैयार हो गए हैं और लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले अधिसूचित (नोटिफाई) कर दिया जाएगा। इसके साथ ही इस नियम के लिए ऑनलाइन पोर्टल की सुविधा की भी तैयारी कर ली गई है।

क्या है CAA ?

  • सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के लागू होने पर तीन पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी, जो दिसंबर 2014 तक किसी ना किसी प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए। जिसमें ये छह धर्म- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शामिल हैं।
    नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से रोकता है।
  • 2016 में नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश हुआ था, यहां से पास होने के बाद ये राज्यसभा में अटक गया था। इसके बाद इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया, फिर 2019 का चुनाव आ गया। 2019 दिसंबर में इसे दोबारा लोकसभा में पेश किया गया, इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों से पास हो गया।
  • 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति से इस कानून के लिए मंजूरी मिल गई। लेकिन, कोरोना के कारण इसमें देरी हो गई।

कौन है अवैध प्रवासी ?

अवैध प्रवासी वो लोग हैं, जिन्होंने वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज के बिना भारत में प्रवेश किया है। जो अपने निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक भारत में रह रहे हैं। 1946 का अधिनियम भारत में विदेशियों के आने-जाने को नियंत्रित करता है।

आमतौर पर कैसे मिलती है नागरिकता?

भारत की नागरिकता के लिए कानूनन कम से कम 11 साल तक देश में रहना जरूरी है। लेकिन, नागरिकता संशोधन कानून में इन तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को 11 साल की बजाय 6 साल रहने पर ही नागरिकता देने का प्रावधान बनाया गया है। बाकी दूसरे देशों के लोगों को 11 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा, भले ही फिर वे किसी भी धर्म के हो।

इन नियमों के तहत रद्द हो सकती है नागरिकता

नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत किसी भी OCI (Overseas Citizen of India) कार्डधारक की नागरिकता इन वजहों से रद्द हो सकती है। अगर OCI पंजीकरण में कोई धोखाधड़ी पाई जाती है। भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ नहीं होना चाहिए। केंद्र द्वारा अधिसूचित कोई अन्य कानून का उल्लंघन होता है तो नागरिकता रद्द कर दी जाएगी। अगर आप किसी और देश के नागरिक हैं तो आपसे भारत की नागरिकता अपने आप छिन जाएगी।

जानें आवेदन करने की प्रक्रिया

पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। उन्हें केवल वो साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और नागरिकता जारी कर देगा।

सरकार का पक्ष

जो लोग अपने-अपने देशों में भेदभाव व धार्मिक उत्पीड़न झेली है और भारत आए हैं ये कानून उनके लिए है। कानून के शुरू होने से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों में आए लोगों को राहत मिलेगी। भारतीय मूल के कई लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता पाने में असफल रहे हैं।

कानून को लेकर क्या कहना है विपक्ष का

विपक्ष का कहना है कि इस कानून के जरिए खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को टारगेट किया जा रहा है। इस कानून के लागू होने से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है। हालांकि पूर्वोत्तर में कानून के खिलाफ अलग वजह है। वे मानते हैं कि अगर बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिली, तो उनके राज्य के संसाधन बंट जाएगा।
मेघालय में वैसे तो गारो और जैंतिया जैसी ट्राइब मूल निवासी हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों के आने के बाद वे पीछे रहे गए हैं। अब अगर सीएए लागू होता है तो मूल निवासियों की बची खुची ताकत भी चली जाएगी। दूसरे देशों से आकर बसे हुए अल्पसंख्यक उनके संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। यही डर जिसकी वजह से पूर्वोत्तर सीएए का भारी विरोध कर रहा है।

एनआरसी और नागरिकता कानून का कनेक्शन

NRC यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में सभी भारतीयों का विवरण शामिल है। 1951 के बाद सिर्फ असम में ही NRC को अपडेट किया गया है। असम में एनआरसी की अंतिम सूची में 19,06,657 लोगों का नाम शामिल नहीं था। इनमें सिर्फ सात लाख मुस्लिम बांग्लादेशी थे, अन्य 12 लाख हिंदू-सिख समेत दूसरे धर्मों के लोग शामिल थे। नागरिकता संशोधन विधेयक से गैर मुस्लिमों के पास नागरिकता का अवसर होगा, लेकिन मुस्लिमों के पास ये अवसर नहीं है।

ये भी पढ़ें – परीक्षा पे चर्चा 2024 : कॉम्पिटिशन, फिजिकल एक्सरसाइज और सोशल मीडिया… PM मोदी ने बच्चों को इन विषयों पर दिए टिप्स; पेरेंट्स को भी दी सलाह

संबंधित खबरें...

Back to top button