
नई दिल्ली। चिंपैंजी अपने शरीर पर लगी चोटों को ठीक करने के लिए औषधीय पौधे ढूंढ कर खाते हैं। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। चिंपैंजी विभिन्न प्रकार के पौधे खाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पता लगाना मुश्किल है कि वे बीमारियों को ठीक करने के लिए जानबूझकर औषधीय पौधे ढूंढते हैं या फिर ‘अनजाने’ में ही उन पौधों को खाते हैं जो औषधीय होते हैं। यह अध्ययन पीएलओएस ओएनई पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। युगांडा के ‘बुडोंगो सेंट्रल फॉरेस्ट रिजर्व’ में ब्रिटेन के आॅक्सफोर्ड विवि के शोधकर्ताओं सहित अन्य ने 51 जंगली चिंपैंजी के व्यवहार और स्वास्थ्य का अध्ययन किया।
कई उदाहरण सामने आए
शोधकर्ताओं ने पाया कि एक नर चिंपैंजी के हाथ में चोट लगी हुई थी और वह फर्न की पत्तियों को ढूंढ़कर खा रहा था, जिससे दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिली होगी। इसी तरह एक अन्य चिंपैंजी परजीवी संक्रमण से ग्रस्त था और वह इसे ठीक करने के लिए ‘स्कूटिया मायर्टिना’ की छाल खा रहा था।
पौधों और जड़ी बूटियों का भी किया विश्लेषण
शोधकर्ताओं के दल ने वन में वृक्षों व जड़ी- बूटियों की प्रजातियों के पौधों का भी विश्लेषण किया और पाया कि इन पौधों में सूजन को कम करने और एंटीबायोटिक गुण हैं। चिंपैंजी स्वयं औषधि के रूप में इनका सेवन करते थे। इनमें वे पौधे शामिल हैं, जो चिंपैंजी के आहार का हिस्सा नहीं थे, लेकिन इनमें उपचारात्मक गुण होने से वे इन्हें खाते थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि 88% पौधों के अर्क में जीवाणुरोधी गुण थे जो बैक्टीरिया फैलने से रोकते थे जबकि, 33% में सूजन कम करने के गुण थे।