
पल्लवी वाघेला-भोपाल। बच्चे सोशल मीडिया पर बने अनजाने फ्रेंड से इतने प्रभावित हैं कि उनके बहकावे में आकर या उनसे मिलने की चाह में घर छोड़ने जैसा कदम उठाने में एक बार भी नहीं सोचते। चाइल्ड हेल्पलाइन के माध्यम से भोपाल में रेस्क्यू किए गए बच्चों के संबंध में पड़ताल करने पर यह बात सामने आई है। सितंबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच भोपाल में 642 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। इनमें से 234 बच्चों ने सोशल मीडिया पर हुए प्यार या फ्रेंड के बहकावे में आकर घर छोड़ दिया।
रेस्क्यू हुए बच्चों ने बताया कि वह अनजाने दोस्त से पहली बार मिलने या उनके प्यार में पड़कर घर शादी के इरादे से उससे मिलने घर से निकले हैं। अधिकांश बच्चों ने कहा कि भोपाल खूबसूरत शहर है और यहां से अन्य शहरों की कनेक्टिविटी अच्छी है इसलिए वह भोपाल पहुंचे।
कौन से बच्चे भागते हैं
दूसरे शहरों में ऐशो आराम की खोज में और पढ़ाई के डर से भागने वालों में वंचित वर्ग के बच्चे अधिक थे। वहीं सोशल मीडिया पर अनजाने लोगों के ट्रैप में आए बच्चों में सभी वर्ग शामिल हैं। एलीट क्लास के बच्चों के मामले केवल 4 फीसदी हैं, इनमें ज्यादातर ने डांट या ईगो के चलते घर छोड़ा।
फैक्ट फाइल
- 162 बच्चों ने पढ़ाई के डर या चल रहे प्रेम प्रसंग के कारण घर छोड़ा। इनकी उम्र 14 से 17 साल थी।
- 118 बच्चे ऐसे थे जिन्होंने महानगरों की जिंदगी, ऑनस्क्रीन बड़े शहरों की खूबसूरती या इन शहरों में घूमने के इरादे से घर छोड़ा।
- 128 बच्चों ने मामूली बात पर डांट या अन्य कारणों से घर छोड़ा।
इस समय बच्चे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। ऐसे में हर माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे यह देखें कि उनका बच्चा सोशल मीडिया पर किन लोगों से जुड़ा है, वह क्या देखा रहा है। समयस मय पर यह चेक करते रहें, इस बारे में उससे बात भी करें। वहीं यह भी जरूरी है कि उसे घर पर ऐसा माहौल दें जिससे उससे कोई गलती हो जाए तो वह माता-पिता के साथ शेयर करे। साथ ही स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित कर बच्चों को सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान के बारे में बताना चाहिए। – डॉ. अभय पालीवाल, मनोचिकित्सक एमजीएम मेडिकल कॉलेज,इंदौर