
श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को अब नई पहचान मिल गई है। यह चीते अब भारतीय नामों से पुकारे जाएंगे। इसकी जानकारी केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक वीडियो ट्वीट कर दी है। केंद्र सरकार की ओर से चीतों के नामकरण के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिता चलाई थी और इसमें देशभर के लोगों ने भारतीय नाम सुझाए। इसी आधार पर नामकरण किया गया है।
पीएम मोदी ने लोगों से मांगे थे सुझाव
चीतों के नाम रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों से आह्वान किया था कि इन चीतों के नाम सुझाएं और पारंपरिक नाम बताएं। यही वजह है कि केंद्र सरकार के माय जीओवी पोर्टल पर 26 सितंबर से ऑनलाइन प्रतियोगिता शुरू की गई, जो 31 अक्टूबर 2022 तक चली थी। प्रतियोगिता में देशभर से हजारों नाम सुझाए गए। अब पर्यावरण मंत्रालय को प्राप्त सुझावों में से नाम फाइनल होने के बाद चीतों का नामकरण कर दिया गया है।
नामीबियाई चीतों के भारतीय नाम
पिछले साल 17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीते कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे। नामीबिया से लाए गए चीता ओबान अब पवन, मादा चीता आशा अब आशा, सवाना अब नाभा, सियाया अब ज्वाला, एल्टन अब गौरव, फ्रेडी अब शौर्य, तिब्लिसी को अब धात्री नाम से जाना जाएगा। मादा आशा का नाम पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा था। एक मादा चीता साशा की किडनी में इंफेक्शन की वजह से मौत हो गई थी।
साउथ अफ्रीका से लाए गए चीतों के नाम
इसी साल 18 फरवरी को साउथ अफ्रीका से 12 चीते और लाए गए। इन्हें भी अब भारतीय नामों से पुकारा जाएगा। 12 चीतों में फिंडा (मादा) को दक्ष, मापेसू को निर्वा, फिंडा (व्यस्क-1) को वायु, फिंडा(व्यस्क-2) को अग्नि, तस्वालू (मादा) को गामिनी, तस्वालू (व्यस्क नर) को तेजस, तस्वालू (उप व्यस्क मादा) को वीरा, तस्वालू (उप व्यस्क नर) को सूरज, वाटरबर्ग जीवमंडल (व्यवस्क मादा) को धीरा तो वाटरबर्ग जीवमंडल (व्यवस्क नर) को उदय और वाटरबर्ग बायोस्फीयर व्यस्क (नर-2) को प्रभास, वाटरबर्ग बायोस्फीयर व्यस्क (नर-3) को पावक नाम दिया गया है।
PM मोदी ने दी बधाई
Congratulations to the winners and hoping that the Cheetahs continue to remain happy as well as healthy. https://t.co/gnGh0Y0PFw
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2023
70 साल बाद देश की धरती पर आए चीते
गौरतलब है कि पिछले साल 17 सितंबर को नामीबिया से 8 चीते कूनो लाए गए थे। वहीं इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को यहां लाया गया। इनमें से एक चीते की किडनी के समस्या के चलते मौत हो गई है। वहीं मादा चीता ‘साशा’ के अंतिम संस्कार के एक दिन बाद ही दूसरी मादा चीता ‘सियाया’ ने चार शावकों को जन्म दिया था। यह भारतीय भूमि पर 1947 के बाद जन्मे चीता के पहले चार शावक हैं।