
भोपाल। स्कूटर, बाइक की तर्ज पर बिना हेलमेट के ई-साइकिल चलाने पर जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार ने ईवी पॉलिसी-2025 में ई-साइकिल में हेलमेट लगाना अनिवार्य किया है। साइकिल चलाने के लिए शहरी क्षेत्रों में सड़क, पार्किंग, साइकिल पुलिंग, बैटरी स्वैपिंग सेंटर सहित अन्य बुनियादी ढांचों की व्यवस्था निकाय करेंगे। साइकिल के लिए परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन से छूट रहेगी, लेकिन चेचिस नम्बर सहित अन्य जानकारी डीलर और खरीदार को रखनी होगी।
इसके लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है। नीति के अनुसार निकायों को मेट्रो, इंटर सिटी सहित अन्य परिवहन कनेक्टिविटी देने शहरों में ई-साइकिल की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करना होगा। निकाय यह सुनिश्चित करेंगे कि ई-साइकिल पार्किंग करने पर एक साल तक पार्किंग शुल्क न वसूला जाए।
शहरों में होंगे मैकेनिक मार्केट
शहरों में ईवी, ई-साइकिल, ई-रिक्शा से जुड़े मैकेनिक मार्केट की जगह भी आरक्षित की जाएगी। जिससे लोगों को वाहनों की रिपेयरिंग, बैटरी स्वैपिंग, सहित अन्य पार्ट सहजता से उपलब्ध हो सकें। इससे जुड़े पार्टों के निर्माण के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में भूखंड आरक्षित की जाएगी और इन्हें सरकार तमाम टैक्सों में देने का प्रावधान करेगी।
ई-रिक्शा पर टैक्स में छूट
ई-रिक्शा खरीदी पर परिवहन विभाग में पंजीयन और मोटर वाहन टैक्स में छूट दी जाएगी। इन्हें परमिट में भी छूट दी जाएगी। सस्ते माल परिवहन और यात्रियों की सुविधा के साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए तीन पहिया ई-रिक्शा खरीदी में पांच प्रतिशत तक ब्याज दरों में भी राहत दी जाएगी। ड्राइविंग लाइसेंस निर्माण में भी राहत दी जाएगी। ई-रिक्शा बेचने वाले डीलर को शहरी विकास एवं आवास विकास विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके अलावा सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ रोड ट्रांसपोर्ट तथा आटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में भी अनुमतियां लेना अनिवार्य होगा।
लोगों ने ई-व्हीकल की कीमतें कम करने दिए सुझाव
ईवी पॉलिसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में ऑनलाइन सुझाव देने सरकार ने एक हफ्ते का समय दिया था। इस दौरान करीब एक दर्जन सुझाव आए हैं, इसमें ज्यादातर लोगों ने इसकी कीमतों में को कम करने और टैक्स में छूट देने की बात कही है।
नीति में जोड़े जाएंगे सुझाव
ईवी ड्राफ्ट पॉलिसी के संबंध में लोगों से सुझाव बुलाए गए हैं। जिन लोगों ने नीति के संबंध में अच्छे सुझाव दिए हैं, उन्हें नीति में जोड़ा जाएगा।
– संजय शुक्ला, पीएस, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग
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