नागालैंड में विवादित कानून सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम 1958 (AFSPA) को 6 महीनों के लिए बढ़ाया दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। यह कानून सशस्त्र बलों को बगैर रोक-टोक के ‘अशांत इलाकों’में कार्रवाई करने की अनुमति देता है। केंद्र ने यह फैसला उस वक्त लिया है जब राज्य में AFSPA हटाने की मांग काफी जोर पकड़ चुकी है।
AFSPA के खिलाफ क्यों हो रहे प्रदर्शन
दरअसल, नागालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान ‘गड़बड़ी’ हो गई और 14 आम नागरिकों की मौत हो गई। इसके बाद से ही पूरे राज्य में AFSPA के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
नागालैंड में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 (AFSPA) को आज से छह महीनों के लिए और बढ़ा दिया गया है। pic.twitter.com/6i51wF6sFi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 30, 2021
क्या है AFSPA?
यह एक कानून है, जो भारतीय सुरक्षा बलों को देश में युद्ध जैसी स्थिति बनने पर अशांत क्षेत्रों में शांति व कानून-व्यवस्था बहान करने के लिए विशेष शक्तियां देता है।
अभी कहां लागू हैं AFSPA
पूर्वोत्तर में नागालैंड, असम, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग, चांगलांग, तिरप जिलों और असम सीमा पर मौजूद 8 पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा लागू है।
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सशस्त्र बलों को मिलती हैं ये शक्तियां
- संदेह के आधार पर बिना वारंट के तलाशी लेना
- कानून तोड़ने वाले पर गोली चलाना
- बिना वारंट के गिरफ्तार करना
- खतरा होने पर किसी स्थान को नष्ट करना
- वाहनों की तलाशी लेना
कब-कब कहां लागू हुआ?
1958 – मणिपुर और असम
1972 – असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड
1983- पंजाब एवं चंडीगढ़
1990- जम्मू-कश्मीर