
नई दिल्ली। केंद्र सरकार टेलीकॉम कंपनियों के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया पर लगने वाले ब्याज और पेनल्टी को माफ करने पर विचार कर रही है। यह प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया में राहत देने की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार 50 प्रतिशत ब्याज, 100 प्रतिशत पेनल्टी और पेनल्टी पर लगने वाले ब्याज को माफ करने पर विचार किया है।
वोडाफोन और आइडिया पर AGR बकाया का बड़ा हिस्सा
यह माफी मुख्य रूप से उन टेलीकॉम कंपनियों के लिए हो सकती है, जिन पर AGR बकाया का सबसे बड़ा हिस्सा है, जैसे वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल। सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश के बाद इन कंपनियों पर भारी AGR बकाया लगाया गया था। हालांकि, सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दाखिल की गई क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया था। इस पिटीशन में AGR बकाया की पुनर्गणना की मांग की गई थी। सरकार का यह कदम टेलीकॉम कंपनियों को वित्तीय राहत देने के लिए अहम साबित हो सकता है, खासकर वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों के लिए, जो इस बकाया के चलते आर्थिक दबाव में हैं।
एयरटेल पर 440 अरब डॉलर बकाया, जियो पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
अगर सरकार यह राहत प्रदान करती है, तो इससे वोडाफोन आइडिया को लगभग 520 अरब रुपए और भारती एयरटेल को 380 अरब रुपए की राहत मिल सकती है। वोडाफोन आइडिया की कुल AGR देनदारी 703 अरब डॉलर है, जबकि भारती एयरटेल पर 440 अरब डॉलर बकाया है। जियो पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि उसकी AGR देनदारी तुलनात्मक रूप से कम है। हालांकि, टेलीकॉम एक्ट, 2023 के अनुसार, सरकार के पास AGR बकाया माफ करने की सीधी कानूनी शक्ति नहीं है। इसके लिए कानून में संशोधन या नए कार्यकारी आदेश की जरूरत होगी।
पहले भी कदम उठा चुकी है सरकार
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार बकाया माफ करने के बजाय AGR और स्पेक्ट्रम भुगतान की 4 साल की मोहलत को और बढ़ा सकती है या बकाया को इक्विटी में बदलने का विकल्प अपना सकती है। सरकार पहले भी कई सुधारात्मक कदम उठा चुकी है, जैसे 4 साल की मोहलत, AGR परिभाषा में बदलाव, और भविष्य की स्पेक्ट्रम नीलामी में शुल्क हटाना। 2024 में, सरकार ने बैंकों की गारंटी की आवश्यकता को भी खत्म कर दिया था। AGR बकाया माफी से वोडाफोन आइडिया को सबसे ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि यह कंपनी गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही है। भारती एयरटेल को भी राहत मिलेगी, लेकिन जियो पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा। अगर यह कदम उठाया जाता है, तो यह दूरसंचार क्षेत्र को स्थिरता प्रदान करने और बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है।