
धर्मेंद्र त्रिवेदी-ग्वालियर। वर्ष 2009 में जिले की बंजर पहाड़ियों को हरा-भरा करने के लिए शुरू हुए अभियान से लेकर अब तक 25 से अधिक पहाड़ियों पर करीब 2.50 लाख नीम, शीशम, आंवला आदि के पेड़ लहलहा रहे हैं। रोपे गए पौधों की उत्तरजीविता 80 प्रतिशत से अधिक रही है। जिले का पौधरोपण प्रशिक्षु आईएएस के स्टडी टूर में शामिल है और महिला स्व सहायता समूहों की आजीविका का माध्यम भी बन रहा है। उदयपुर पहाड़ी को अब सिटी टूरिज्म स्पॉट के रूप में भी विकसित किया जा रहा है, जबकि कलेक्टर रुचिका चौहान की पहल पर अलापुर पहाड़ी को हरि पर्वत के रूप में विकसित किया जा रहा है। पौधरोपण को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है। अब प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलाटव ने 40 से अधिक बंजर पहाड़ियों को हरा-भरा करने के लिए कार्ययोजना के निर्देश दिए हैं।
ये पहाड़ियां भी हरी-भरी
रायपुर पहाड़ी : 25 हजार से अधिक नीम, आंवला सहित अन्य पेड़ हैं। आईएएस के फील्ड स्टडी टूर में शामिल है।
नयागांव पहाड़ी : पहाड़ी पर 6 हजार नीम के पेड़ हैं।
मोहनगढ़ : पहाड़ी पर 5 हजार नीम, 2 हजार शीशम आदि पेड़ हैं।
उदयपुर पहाड़ी : पहाड़ी पर 15 हजार से अधिक नीम के पेड़ लगे हैं।
हिम्मतगढ़ : करीब 20 हजार नीम के पौधे-पेड़ हैं।
पक्षियों के लिए जीवन है पेड़ : प्रत्येक पेड़ 100 से 150 पक्षियों को आसरा देता है। 300 मीटर की परिधि में ऑक्सीजन देता है।
इनके समय विकसित हुए नीम पर्वत
तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी और जिपं सीईओ विनोद शर्मा की पदस्थी के दौरान 37 पहाड़ियों को चिन्हित कर नीम के पौधे लगाने का प्लान तैयार किया गया था।
हरियाली के लिए प्रयास
हरियाली विकसित करने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। युवाओं को प्रेरित किया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी को प्राकृतिक परिवेश मिल सके। -विवेककुमार, सीईओ-जिला पंचायत
मैंने बॉटनी से ही पढ़ाई की थी, बागवानी को लेकर शुरू से ही रुचि थी। जब हरियाली महोत्सव शुरू हुआ तो यह विचार आया कि क्यों न बंजर पहाड़ियों पर नीम आदि भारतीय वनस्पति लगाई जाए। यह प्लान सफल रहा। अब ये सब पहाड़ी घने वन का रूप ले चुकी हैं। -विनोद शर्मा पूर्व आईएएस