राजीव सोनी-भोपाल। भाजपा की परंपरागत बुधनी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने जातीय ध्रुवीकरण रोकने और किसानों को साधने की रणनीति अपनाई है। उधर कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की जमीन अधिग्रहण और भाई-भतीजावाद को मुद्दा बनाया है। क्षेत्र में किरार, यादव, ब्राह्मण और राजपूत समाज निर्णायक स्थिति में हैं। कांग्रेस यहां 26 साल से चुनावी जीत के लिए तरस रही है।
बुधनी सहित विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख कस्बों में शामिल रेहटी, बकतरा, शाहगंज, आमोन, डोबी और भेरूंदा में चुनावी सरगर्मी अब चरम पर है। झंडे-बैनर्स और गांव- गांव में प्रचार करती कार्यकर्ताओं की टोलियां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में जुटी हैं। इधर कांग्रेस के रणनीतिकार सामाजिक समीकरण साधने पर फोकस कर रहे हैं।
सीएम डॉ. यादव और शिवराज ले रहे फीडबैक
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव यहां मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दोनों ने सामाजिक नेताओं से मेल-मुलाकातें की हैं। चौहान के बेटे कार्तिकेय सभी क्षेत्रों में घूम-घूमकर जनसमर्थन जुटा रहे हैं।
भाजपा के सामने जीत के अंतर की भी चुनौती
2023 के चुनाव में शिवराज ने इस सीट पर एक लाख 5 हजार से ज्यादा मतों से जीतकर रिकार्ड कायम किया था। 2006 में शिवराज ने पहला विधानसभा चुनाव बुधनी से कांग्रेस के राजकुमार पटेल को हराकर जीता था।
गरीबों का हक बड़े लोगों ने खा लिया
बुधनी क्षेत्र में गरीबों का हक बड़े लोगों ने खा लिया है। हम लोग बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। मुख्य मुद्दे महंगाई,बेरोजगारी और भाई-भतीजावाद है। अजा-अजजा वर्ग और गरीबों की कोई सुनवाई नहीं। – राजकुमार पटेल, कांग्रेस प्रत्याशी