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बिलकिस बानो गैंगरेप केस : 11 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, याचिका खारिज; सरेंडर के लिए मांगा था और समय

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों के सरेंडर की अवधि बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्ल भूयान की पीठ ने दोषियों की गुहार यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके सरेंडर के लिए मोहलत की मांग वाले आवेदनों में कोई ‘ठोस आधार’ नहीं है, जिससे उस पर विचार किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि सभी दोषियों को 21 जनवरी को जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा।

11 दोषियों में बकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद जसवन्त नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चांदना और शैलेश भट्ट शामिल है।

दोषियों ने सरेंडर अवधि बढ़ाने का मांगा था समय

कोर्ट इस मामले के सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत दी गई सजा में छूट को आठ जनवरी को अवैध करार देते हुए उसे रद्द कर दिया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने उन्हें जेल प्रशासन के समक्ष दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया था, जिसकी अवधि 21 जनवरी को समाप्त होने वाला है।

सरेंडर मे मोहलत की मांग करने वालों में शामिल दोषी रमेश रूपाभाई चंदना ने पारिवारिक दायित्व निभाने के लिए छह सप्ताह की मोहलत मांगी थी, जबकि दोषी मितेश चिमनलाल भट ने सर्दियों की उपज की कटाई के लिए छह सप्ताह का और समय देने की गुहार लगाई थी। एक अन्य दोषी ने अपने बूढ़े और बीमार पिता की देखभाल के लिए छह सप्ताह का अतिरिक्त समय की विनती की थी।

क्या है पूरा मामला

2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप की शिकार हुई थीं। इसी दौरान भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी। मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग, पिछले साल 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा हुए थे। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इन दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी। इसके बाद बिलकिस बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में बिलकिस ने गुजरात सरकार पर अपने मामले के दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आरोप लगाया है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की पीठ ने 11 दिन सुनवाई करने के बाद पिछले साल 12 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन दोषियों को गुजरात सरकार ने एक कानून के तहत रिहा कर दिया था। इस पर बिलकिस बानो ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

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