
पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने शुक्रवार को तोशाखाना संदर्भ में गलत घोषणा के लिए अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत पीटीआई प्रमुख इमरान खान को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है। आयोग ने कहा कि इमरान की संसद सदस्यता भी रद्द हो गई है। चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद इमरान खान चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
EC दफ्तर के बाहर फायरिंग की खबर
इमरान के खिलाफ फैसला आने के बाद इमरान के समर्थकों ने पाकिस्तान EC के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। इन लोगों को हटाने जब सुरक्षा गार्ड्स पहुंचे तो समर्थकों ने फायरिंग कर दी। बाद में इन्हें दफ्तर से हटाया गया। हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
क्या हैं इमरान खान पर आरोप ?
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के चीफ इमरान खान पर आरोप लगा था कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए विदेशी नेताओं से प्राप्त उपहारों के बारे में अधिकारियों को गुमराह किया। आरोप है कि इमरान खान ने तोशाखाना की तोहफे में दी गई कई घड़ियां एक घड़ी डीलर को 15.4 करोड़ रुपए से ज्यादा में बेची हैं। अगस्त में गठबंधन सरकार ने इमरान खान के खिलाफ तोशाखाना उपहारों और उनकी कथित बिक्री से प्राप्त आय के ‘विवरण साझा नहीं करने’ के लिए याचिका दायर की थी।
स्पीकर ने सीईसी को भेजी थी शिकायत
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट, सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ को शिकायत दी थी। जिन्होंने बाद में इसे आगे की कार्रवाई के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा को भेज दिया था। वहीं फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद, पीटीआई नेता फवाद चौधरी ने जनता से अपने घरों से बाहर आने के लिए कहा। वह ईसीपी के बाहर मीडिया से बात कर रहे थे।
जानें क्या है तोशखाना केस
चुनाव आयोग के सामने सत्ताधारी पाकिस्तानी डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने तोशखाना गिफ्ट मामला उठाया था। कहा था कि इमरान ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न देशों से मिले गिफ्ट को बेच दिया था। इमरान ने चुनाव आयोग को बताया था कि उन्होंने तोशखाने से इन सभी गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा था। इन्हें बेचकर उन्हें करीब 5.8 करोड़ रुपए मिले थे। जिन तोहफों को इमरान ने बेचा था उनमें एक बेशकीमती घड़ी, कफलिंक का एक जोड़ा, एक महंगा पेन, एक अंगूठी और चार रोलेक्स वॉच शामिल थीं।
क्या है पाकिस्तान का कानून ?
पाकिस्तान के कानून के मुताबिक, किसी विदेशी राज्य के गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त कोई भी उपहार स्टेट डिपॉजिटरी या तोशाखाना में रखा जाना चाहिए। यदि राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। ये उपहार या तो तोशाखाना में जमा रहते हैं या नीलाम किए जा सकते हैं और इसके माध्यम से अर्जित धन को राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है।
इमरान ने किया इस नियम का उल्लंघन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दूसरे पद पर रहने वालों को लोगों मिले तोहफों की जानकारी नेशनल आर्काइव को देनी होती है। इन्हें तोशाखाना में जमा कराना होता है। अगर तोहफा 10 हजार पाकिस्तानी रुपए की कीमत वाला होता है तो बिना कोई पैसा चुकाए इसे संबंधित व्यक्ति रख सकता है।
10 हजार से ज्यादा है तो 20% कीमत देकर गिफ्ट अपने पास रखा जा सकता है। अगर 4 लाख से ज्यादा का गिफ्ट है तो इसे सिर्फ वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) या सदर-ए-रियासत (राष्ट्रपति) ही खरीद सकता है। अगर कोई नहीं खरीदता तो नीलामी होती है।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) October 21, 2022