
भोपाल। मध्य प्रदेश के चयनित सब इंजीनियर्स और भावी डॉक्टर्स भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर तेज बारिश के बीच सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वे भीख मांगकर सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को वोट नहीं देने की शपथ ली। बता दें कि, इंजीनियर्स सिलेक्शन के बाद भी नियुक्ति न मिलने और डॉक्टर्स अपने स्टाइपेंड में कटौती की वजह से सरकार से नाराज हैं।
भीख मांगकर कर रहे प्रदर्शन
युवा हल्ला बोल के प्रदेश अध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार का कहना है कि, भाजपा शासित मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स और इंजीनियर्स भीख मांगने पर मजबूर हो गए हैं। मध्य प्रदेश और देश के लिए यह शर्मनाक बात है। इसी के चलते आज यानी 4 अगस्त को राजधानी भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर युवा हल्ला बोल के नेतृत्व में प्रदेश भर से आए चयनित सब इंजीनियर्स और भावी डॉक्टर्स भीख मांगकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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अभ्यर्थियों का क्या कहना है?
- मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (व्यापम) द्वारा नवंबर 2022 को करवाई गई संयुक्त भर्ती परीक्षा में सब इंजीनियर के पद पर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य प्रशासन विभाग के 26 जून 2023 के आदेश के बाद होल्ड पर कर दिया गया। होल्ड किये गए मेरिटधारी अभ्यर्थियों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी करवा लिया गया था।
- डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय इन अभ्यर्थियों से अन्य जॉब से त्यागपत्र भी मांगा गया था इसके चलते इनके पास पिछली जॉब भी नहीं बची है।
- इन अभ्यर्थियों का कहना है कि, हम से कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई है और हमें ज्यादा अंक लाने के बावजूद भी होल्ड कर दिया है, जो कि अन्याय है।
- 31 विभाग में से लगभग 20 विभागों ने सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी है और कुछ विभागों ने 13℅ OBC अभ्यर्थियों को होल्ड कर दिया है। हमें होल्ड किये जाने से मेरिट प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया, जिससे एक ही वर्ग (ओबीसी) के कम नंबर वाले लोगों की नियुक्ति हो गई और अधिक नंबर वाले होल्ड हो गए, एक ही परीक्षा में ऐसा अन्यायपूर्ण व्यवहार प्रशासन और विभाग द्वारा हमारे साथ किया गया है।
शिवराज सरकार पर उठाए सवाल
युवा हल्ला बोल के प्रदेश अध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार ने कहा कि, आज मध्य प्रदेश के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स सड़क पर भीख मांगने को मजबूर हैं क्या यही है शिवराज सिंह जी का मॉडल?… क्या यही है डबल इंजन वाली सरकार का मॉडल?
मेरा मानना है की देश के लिए, मध्य प्रदेश के लिए यह शर्मनाक है। आखिर जिस देश के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स ही भीख मांगने पर मजबूर हो उस देश के, उस प्रदेश के मुखिया को हम कैसे योग्य व ईमानदार मान लें। जिस प्रदेश में मेरिटधारियों को होल्ड और कम नंबर वालों सरकारी नौकरी मिल जाए उस प्रदेश में हम कैसे भर्ती प्रक्रिया को घोटाला मुक्त मान लें। जिस प्रदेश के डॉक्टर्स की स्कॉलरशिप में प्रतिवर्ष की कटौती ही 2 लाख हो, उनके सालाना आय 3 लाख रुपए से कम होने के बावजूद, उस सरकार को हम कैसे ईमानदार मान लें। शिवराज सिंह जी की सरकार नौकरी देना तो दूर की बात, वो निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया, घोटाले मुक्त भर्ती प्रक्रिया और पूरी स्कॉलरशिप तक इस प्रदेश के युवाओं को नहीं दे पा रहे हैं। यह युवा विरोधी नहीं तो और क्या है?
फीस को लेकर भी परेशान हो रहे छात्र
2019, 2020 और 2021 बैच के छात्रों की छात्रवृत्ति में हर साल 15 प्रतिशत की कटौती डेवलपमेंट चार्ज के रूप में की जा रही है, जबकि एडमिशन के समय पूर्ण छात्रवृत्ति मिलने का लिखित आश्वासन छात्रों को दिया गया था। इन छात्रों को पहले साल तो पूर्ण छात्रवृत्ति प्राप्त हुई लेकिन दूसरे वर्ष से कटौती की जाने लगी।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की सालाना फीस लगभग 11-12 लाख रूपए है जिसमें हर साल 15 प्रतिशत की कटौती होने के कारण एक छात्र को प्रतिवर्ष 1.5 से 2 लाख रुपए का आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है। इन छात्रों का प्रवेश ही इस आधार पर हुआ था कि इनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपए से कम हो। इनके लिए हर साल 2 लाख की राशि जुटाना काफी मुश्किल है।