
भोपाल। मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने शुक्रवार को हमीदिया अस्पताल के नवीन भवन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने हमीदिया अस्पताल में आईवीएफ सेंटर खोलने की घोषणा की। मंत्री सारंग ने कहा कि हमीदिया अस्पताल में आईवीएफ सेंटर खोलने से गरीब नि:संतान दंपत्तियों को फायदा मिलेगा।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) September 23, 2022
मरीजों और परिजनों से लिया व्यवस्थाओं का फीडबैक
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने शुक्रवार को हमीदिया अस्पताल के नवीन परिसर में शिफ्ट हुए सुल्तानिया जनाना अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान मरीजों और परिजनों का से व्यवस्थाओं का फीडबैक लेकर उनका कुशलक्षेम जाना। वहीं मंत्री सारंग ने नए भवन में दिखी व्यवस्थाओं के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
आईवीएफ में लाखों का खर्च आता है : मंत्री सारंग
मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है। नि:संतान दंपत्तियों के इलाज के लिए हमीदिया अस्पताल में आईवीएफ सेंटर शुरू करेंगे। इसमें करीब 3 से 4 महीने का समय लगेगा। लगभग दो हजार फीट की जगह में आईवीएफ का पूरा सेंटर तैयार किया जाएगा। मंत्री सारंग ने कहा कि आईवीएफ में लाखों रुपए का खर्च आता है। जो कि गरीब दंपत्तियों के लिए काफी मुश्किल होता है। सरकारी अस्पताल में आईवीएफ की सुविधा शुरू होने से गरीब दंपत्तियों को राहत मिलेगी।
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क्या है IVF ?
बता दें कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को आईवीएफ कहा जाता है। इसे पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता था। इस प्रक्रिया का प्रयोग सबसे पहले इंग्लैंड में 1978 में किया गया था। इस ट्रीटमेंट में महिला के अंडों और पुरुष के शुक्राणुओं को मिलाया जाता है। जब इसके संयोजन से भ्रूण बन जाता है, तब उसे वापस महिला के गर्भ में रख दिया जाता है। ये प्रक्रिया काफी जटिल और महंगी है। लेकिन यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए वरदान है, जो कई सालों से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं।