भोपालमध्य प्रदेश

Bhopal News : ई-टेंडर घोटाले पर स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला, 6 आरोपी दोषमुक्त

भोपाल। ई-टेंडर घोटाले में स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन अपने आरोप साबित करने में नाकाम रहा। कोर्ट में 35 गवाहों के कथन हुए थे।

35 गवाहों की सुनवाई पर सुनाया फैसला

ई-टेंडर घोटाले के मामले की सुनवाई जज संदीप कुमार श्रीवास्तव की स्पेशल कोर्ट में चल रही थी। EOW ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। ब्रह्मे की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत हरने ने बताया कि 35 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अभियोजन आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका।

हालांकि, यह फैसला आने के बाद भी आरोपियों को कोई राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि उनके खिलाफ अभी 6 मामलों में जांच रिपोर्ट आना बाकी है। आज सिर्फ तीन ई-टेंडर में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषमुक्त किया गया है।

कोर्ट ने इनको किया दोषमुक्त

इस मामले में मध्य प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे, एंटारेस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन, ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डॉयरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर और भोपाल के व्यवासायी मनीष खरे आरोपी थे, जिनको कोर्ट ने दोषमुक्त किया है।

क्या है ई-टेंडर घोटाला ?

मध्य प्रदेश का ई-टेंडर घोटाला साल 2018 में सामने आया था, लेकिन इसमें FIR 2019 में दर्ज की गई थी। करीब 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में साक्ष्यों और तकनीकी जांच में प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मध्य प्रदेश जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक कुल 9 टेंडर के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की बात सामने आई थी।

ई-टेंडरिंग को लेकर EOW ने हार्ड डिस्क के एनालिसिस रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी, जहां EOW कोर्ट के सामने आरोप साबित नहीं कर पाया।

मध्य प्रदेश की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें…

संबंधित खबरें...

Back to top button