
प्रवीण श्रीवास्तव, भोपाल। राजधानी में देहदान को लेकर जागरुकता बढ़ने लगी है। बीते छह माह में भोपाल में 22 लोग अपनी देह दान कर चुके हैं। वहीं 152 से अधिक लोगों ने देहदान की इच्छा जताई है और रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरे हैं। इस तरह भोपाल बॉडी डोनेशन में सेंट्रल इंडिया में पहले नंबर पर आ गया है, जबकि इंदौर दूसरे नंबर पर है। इतना ही नहीं, नेत्रदान में भी राजधानी आगे है। यहां छह माह में 26 नेत्रदान हुए हैं।
गांधी मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ .अविनाश ठाकुर बताते हैं कि जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसे सीखने और प्रैक्टिकल कर देखने के लिए केडेवरिक वर्कशॉप (मानव शरीर पर प्रयोग) के लिए बॉडी का उपयोग किया जाता है। मेडिकल कॉलेज में बॉडी न हो तो कई डॉक्टर जटिल आॅपरेशन करने से पहले जानवरों के मृत शरीर पर भी प्रैक्टिकल करते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं। जब डॉक्टरों ने मुंबई और दिल्ली जाकर जानवरों के शरीर पर प्रयोग किए, उसके बाद जटिल आॅपरेशनों को पूरा किया।
पहली बार इंदौर से आगे
देहदान जागरुकता के लिए काम कर रहे सुनील राय बताते हैं कि देहदान और अंगदान के साथ ट्रांसप्लांट में भी अक्सर इंदौर अव्वल रहता था। लेकिन बीते कुछ सालों से राजधानी में जागरुकता बढ़ी है। मेडिकल कॉलेज भी इसके लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चला रहे हैं। यही कारण है कि भोपाल मे देहदान के लिए लोग आगे आ रहे हैं।
2 से पांच साल काम आती है देह
मेडिकोलीगल संस्थान के पूर्व डायरेक्टर डॉ. अशोक शर्मा के अनुसार, एक देह पर बच्चे दो से पांच साल तक प्रैक्टिकल करते हैं। इसके बाद नई देह की जरूरत होती है। यही कारण है कि देहदान को बढ़ावा मिलना चाहिए।
भोपाल में 6 माह में बॉडी डोनेशन
एलएन मेडिकल कॉलेज – 7
एम्स – 5
महावीर मेडिकल कॉलेज – 4
चिरायु मेडिकल कॉलेज – 3
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज – 2
गांधी मेडिकल कॉलेज – 1
राज्य में स्थिति
शहर बॉडी डोनेट
भोपाल – 22
इंदौर – 18
जबलपुर – 9
ग्वालियर – 8
उज्जैन – 8
(स्रोत : देहदान के लिए करने वाले विभिन्न संस्थानों के साथ मेडिकल कॉलेजों से मिली जानकारी के अनुसार)