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आज भारत बंद, SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर का विरोध : राजस्थान के कई जिलों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्‌टी, भरतपुर में नेटबंदी; बिहार में रोकी ट्रेन

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ कई संगठनों ने बुधवार (21 अगस्त) को 14 घंटे के लिए भारत बंद का आहवान किया है। दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में दिख रहा है, प्रदर्शनकारी सड़कों पर आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। वहीं राजस्थान के जयपुर, अजमेर सहित कई शहरों में एहतियातन स्कूल और कोचिंग सेंटर की छुट्टी की गई है।

राज्यों में बंद का असर

राजस्थान: कई जिलों के स्कूलों में छुट्‌टी

राजस्थान में कांग्रेस ने भी बंद को समर्थन दिया है। प्रदेश के 16 जिलों में जिला कलेक्टरों ने स्कूलों में छुट्टी घोषित की है। कोटा, शेखावाटी और मत्स्य यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर, सीकर में अलवर में सभी बाजार भी बंद हैं। वहीं अलवर में रोडवेज बसें नहीं चलने से लोगों को परेशानी हो रही है। भरतपुर में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक इंटरनेट भी बंद रहेगा।

जयपुर में भारत बंद के चलते एहतियातन स्कूल और कोचिंग सेंटर बंद।

बिहार: आरा-दरभंगा में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोकी

बिहार में RJD ने बंद का समर्थन किया है। वहीं, बंद के बीच आज सिपाही भर्ती के चौथे चरण की परीक्षा भी है। जहानाबाद में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक हुई है। पटना के महेंद्रु इलाके में प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं। प्रदर्शनकारियों ने पूर्णिया में सड़क पर आगजनी की। वहीं आरा, सहरसा में भी बंद का असर दिखाई दे रहा है। सड़क जाम कर प्रदर्शन किया जा रहा है। आरा रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने 01663 रानी कमलापति-सहरसा एक्सप्रेस ट्रेन को रोका दिया और ट्रैक पर बैठ गए। इधर, दरभंगा में बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को रोक दिया गया।

बिहार

क्या है बंद की वजह?

भारत बंद का मुख्य उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देना और इसे वापस लेने की मांग करना है। संगठनों का कहना है कि, कोर्ट कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे। NACDAOR ने दलितों, आदिवासियों और ओबीसी से शांतिपूर्ण आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के बीच में ही अलग-अलग श्रेणियां बनाने की मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा था कि, आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए। कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने भारत बंद का ऐलान किया है। NACDAOR ने कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। कोर्ट से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है।

बिहार के पूर्णिया में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर टायर जलाया, सहरसा में केन्द्र सरकार के विरोध में नारे लगाए गए।

फैसले से SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा

NACDAOR सुप्रीम कोर्ट के 7 न्यायाधीशों की पीठ के दिए गए SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में है। NACDAOR का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट का हाल ही में लिया गया फैसला ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में 9 न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी। वर्तमान फैसला SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा पहुंचाता है।

कोटे में कोटा वाले फैसले की वापसी की मांग

भारत बंद बुलाने वाले संगठनों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे।सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि, राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का था।

कोर्ट ने कहा कि, अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। इसके साथ ही राज्य सरकारों को हिदायत देते हुए कहा कि, वे मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं।बता दें कि, 20 साल पहले कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह है, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता।

बंद में कौन-कौन से संगठन और दल शामिल

भारत बंद को दलित और आदिवासी संगठन के अलावा अलग-अलग राज्यों की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां का भी समर्थन मिल रहा है। इनमें प्रमुख रूप से बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम) भारत आदिवासी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, एलजेपी (R) समेत अन्य संगठनों का नाम शामिल है। इनके अलावा कांग्रेस ने भी बंद का समर्थन किया है। इन संगठनों का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आरक्षण के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।

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