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रीजनल साइंस सेंटर की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर साइंस फेस्ट का आयोजन किया जा रहा है, जिसका शुभारंभ शुक्रवार को स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल ने किया। डॉ. गोयल ने अपने भाषण में बच्चों के मन में जिज्ञासा की भावना विकसित करने में विज्ञान संग्रहालयों की भूमिका की सराहना की। साथ ही स्टूडेंट्स को विज्ञान को उसकी सच्ची भावना में सीखने के लिए विज्ञान पर्व जैसे व्यावहारिक प्रदर्शन और ज्ञानवर्धक मंचों की आवश्यकता पर जोर दिया। राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (आरआरसीएटी), इंदौर के पूर्व निदेशक डॉ. शंकर वी. नाखे ने छात्रों में नवाचार और रचनात्मकता की भावना को पोषित करने में विज्ञान पर्व की भूमिका को रेखांकित किया। आरआरसीएटी, इंदौर की एलएएम प्रयोगशाला के प्रमुख प्रो. सीपी पॉल ने ‘मेरा जीवन, मेरी यात्रा: लोकप्रिय विज्ञान’ पर व्याख्यान दिया।
लेजर लाइन से रख सकेंगे तापमान पर नजर
आरआरसीएटी के साइंटिस्ट डॉ. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि शॉर्ट सर्किट से किसी भी बहुमंजिला बिल्डिंग, उद्योग में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अग्नि रक्षक सिस्टम बनाया है। इसमें लेजर का उपयोग किया गया है। इससे उपकरण को किसी एक जगह पर स्थापित करके लेजर लाइन विभिन्न जगहों पर फैलाकर वहां के तापमान पर नजर रख सकते हैं। किसी भी जगह का तापमान अगर निर्धारित सीमा से ज्यादा होता है, तो उपकरण अलार्म बजाकर व संदेश भेजकर सूचना दे देगा। इससे यह भी पता चल जाएगा कि किस जगह पर आग लगी है। इससे शॉर्ट सर्किट से होने वाले हादसों से बचाजा सकता है। इस मशीन का प्रोडक्शन भोपाल के गोविंदपुरा में शुरू हो गया है, ताकि उद्योगों, गोदामों, दफ्तरों व दुकानों सहित अन्य जगह इसका इस्तेमाल हो सके व आग लगने से पहले फॉल्ट को सुधार लिया जाए।
3-डी प्रिंटिंग मशीन से धातु को दे सकेंगे आकार
आरआरसीएटी के इंक्यूबेशन सेंटर के कंवीनर डॉ. सीपी पॉल ने बताया कि आरआरसीएटी ने लेजर एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (एलएएम) सिस्टम डेवलप किया है। इसमें जटिल 3-डी प्रिंटिंग तकनीकी से मशीनरी तैयार की जा सकती है और धातु को कैसा भी आकार दिया जा सकता है। वाहन के इंजन या अन्य मशीनरी को आसानी से तैयार किया जा सकता है। पहले धातु को थ्रीडी डिजाइन में तैयार करने में परेशानी आती थी, लेकिन इसमें एक साथ पूरी मशीनरी या उपकरण का ढांचा तैयार होगा।