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बस्ती की लाइब्रेरी को क्राउड फंडिंग से दिया नया रूप, सीहोर के टेराकोटा से तैयार किया स्ट्रक्चर

मैनिट के स्टूडेंट्स ने कबाड़ से जुगाड़ कर लाइब्रेरी को किया डेवलप, एएनडीसी में मिला पहला पुरस्कार

अनुज मीणा। अरेरा हिल्स के पास दुर्गानगर स्लम बस्ती में मुस्कान अहिरवार किताबी मस्ती के नाम से एक लाइब्रेरी चलाती हैं। इस लाइब्रेरी की छत टीनशेड की थी और चारों ओर बैनर्स से कवर हुआ करती थी। ऐसे में बारिश होने पर किताबें गीली होकर खराब हो जाती थीं और बच्चों को पढ़ाई में भी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इस लाइब्रेरी में मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) के आर्किटेक्चर और प्लानिंग डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स ने खराब दरवाजों के पैनलों और अलमारियों, टिन के कंटेनरों से दीवारें बनाई।

वहीं सीहोर से टेराकोटा लाकर उसकी छत बना दी। इससे यहां पढ़ाई करने वाले बच्चों को होने वाली समस्या दूर हो गई। उनके कबाड़ से जुगाड़ कर बनाए इस स्ट्रक्चर को नेशनल आर्किटेक्चर स्टूडेंट्स ऑफ एसोसिएशन की ओर से केरल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता 66वीं एएनडीसी 2024 (एनुअल नासा डिजाइन कॉम्पिटिशन) में पहला पुरस्कार मिला है।

20 दिन में बना दिया लाइब्रेरी का नया स्ट्रक्चर

मैनिट के विद्यार्थियों को एएनडीसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए अपशिष्ट और खराब सामग्री का उपयोग कर फुली फंक्शनल स्ट्रक्चर तैयार करना था। इस दौरान उन्हें दुर्गानगर बस्ती में मुस्कान अहिरवार द्वारा किताबी मस्ती के नाम से संचालित लाइब्रेरी के बारे में पता चला, जो कि खराब हालत में थी। मैनिट विद्यार्थियों ने इसे डेवलप करने के लिए मिलकर प्लान तैयार किया। उन्होंने इसके लिए उन्होंने सबसे पहले मौजूदा स्ट्रक्चर को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद स्क्रैप सामग्री का उपयोग करके एक नया निर्माण किया। लाइब्रेरी के नए स्ट्रक्चर को बनाने में सिर्फ 20 दिन का समय लगा। पहले लाइब्रेरी में कम बच्चों के बैठने की जगह थी, लेकिन नया स्ट्रक्चर बनने के बाद काफी जगह हो गई है।

2016 में 9 साल की उम्र में शुरू की थी लाइब्रेरी

2016 में इस लाइब्रेरी की शुरुआत अपने पिता के साथ की थी। तब मैं 9 वर्ष की थी। मेरे पिता मुझे पढ़ने के लिए बोलते थे। अपने साथियों के से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पैरेंट्स भी पढ़ाई करने का बोलते हैं, लेकिन स्लम एरिया होने से पढ़ाई में पिछड़ा हुआ है। ऐसे में अपने पिता के साथ इस लाइब्रेरी की शुरुआत की ताकि वह भी पढ़ाई कर सकें। धीरे-धीरे उनके साथ लोग जुड़ते गए। जहां उन्होंने लाइब्रेरी बनाई वहीं पर आसपास के लोग पानी भरने के लिए आते हैं। ऐसे में लाइब्रेरी में पानी भर जाता था। वहीं बारिश के दिनों में और भी अधिक परेशानी होती थी। किताबें खराब हो जाती थीं और बैठने की जगह भी नहीं रहती थी। पिछले दिनों के मैनिट के स्टूडेंट्स ने एक प्रोजेक्ट के तहत लाइब्रेरी को ठीक कराया है। अब पानी की समस्या दूर हो गई है। लाइब्रेरी में इस समय जो किताबें हैं वह लोगों द्वारा डोनेट की गई हैं। लाइब्रेरी में उनके साथ अब आसपास के कई वॉलेंटियर भी पढ़ाने के लिए आते हैं। – मुस्कान अहिरवार, फाउंडर, किताबी मस्ती लाइब्रेरी

पानी से खराब हो जाती थीं किताबें

दुर्गानगर बस्ती में मुस्कान अहिरवार ने किताबी मस्ती लाइब्रेरी चलाती है। पहले उसके पास कम जगह थीं और स्ट्रक्चर भी खराब था। ऐसे में वह 14 से 15 विद्यार्थियों को अलग-अलग बैच में पढ़ाती थी। बारिश के दिनों में लाइब्रेरी में पानी भी भर जाता था। हमने कबाड़ से जुगाड़ बनाकर और क्राउड फंडिंग से रुपए जुटाकर इसे ठीक कराया। अब लाइब्रेरी में एक बैच में वह 30 बच्चों को पढ़ाती है। -प्रियदर्शिता तिवारी, स्टूडेंट, आर्किटेक्चर और प्लानिंग डिपार्टमेंट, मैनिट

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