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बांग्लादेश हिंसा में 100 लोगों की मौत : एक ही थाने में मारे गए 13 पुलिसकर्मी, देश में कर्फ्यू; भारत सरकार ने जारी की एडवाइजरी

ढाका। बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन और हिंसक हो गया है। छात्र संगठन प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। रविवार (4 अगस्त) को हजारों प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए। इस दौरान उनकी और पुलिस के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़पें हुईं। हिंसा में अब तक 14 पुलिसकर्मियों समेत करीब 100 लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि 500 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।

सरकार ने हिंसा पर काबू करने के लिए देशभर में कर्फ्यू लगाने के साथ ही इंटरनेट पर भी बैन लगा दिया है। इसके अलावा अगले 3 दिनों (5-7 अगस्त) के लिए छुट्टी की घोषणा कर दी गई है। देशभर में सभी अदालतों को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया है।

पुलिस स्टेशन पर हमला, 13 पुलिसकर्मियों की मौत

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सिराजगंज शहर में प्रदर्शनकारियों ने 4 अगस्त 2024 को पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। उन्होंने पुलिसकर्मियों को मारने के साथ ही वहां आग लगा दी। इस हमले में 13 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने देश भर में कई पुलिस स्टेशनों पर हमला किया। हमले में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

PM ने प्रदर्शनकारियों को बताया आतंकी

नेशनल कमेटी ऑन सिक्योरिटी अफेयर्स की बैठक में PM हसीना ने कहा कि, विरोध के नाम पर देश भर में “तोड़फोड़” करने वाले लोग छात्र नहीं बल्कि आतंकी हैं। मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि वे इन आतंकियों को रोकने के लिए एकजुट हो जाएं। इस बैठक में बांग्लादेश की तीनों सेनाओं के चीफ, पुलिस चीफ और टॉप सिक्योरिटी अफसर भी शामिल हुए थे।

इसी साल जनवरी में शेख हसीना लगातार चौथी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी हैं। हालांकि, इस चुनाव का प्रमुख दल विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने बहिष्कार किया था। चुनाव नतीजे आने के बाद देशभर में हिंसा और प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

विदेश मंत्रालय ने आपात मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए

भारत ने बांग्लादेश में रहने वाले अपने नागरिकों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने को कहा है। विदेश मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा, ‘मौजूदा घटनाक्रमों को देखते हुए, भारतीय नागरिकों को अगले आदेश तक बांग्लादेश की यात्रा न करने की सख्त सलाह दी जाती है। बांग्लादेश में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित रखने और ढाका में भारतीय उच्चायोग के आपातकालीन फोन नंबर 8801958383679, 8801958383680, 8801937400591 के जरिए संपर्क में रहने की सलाह भी दी गई है।

आरक्षण है आंदोलन की वजह

छात्रों ने पिछले महीने बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। वे लगातार इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। जिसके चलते पहले भी व्यापक रूप से हिंसा भड़क चुकी है और अब तक करीब 200 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। रविवार (4 अगस्त) को हुई इस हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया। राजधानी ढाका में स्थित शाहबाग चौराहे पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। इसके अलावा वहां मौजूद गाड़ियों में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे भी लगाए।

क्या है सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम

बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण तय किया गया था। बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में अलग-अलग कैटेगरी को मिलने वाला 56 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इस साल 5 जून को वहां के हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बढ़ते हिंसा प्रदर्शन को देखते हुए कोर्ट ने 21 जुलाई को आरक्षण की सीमा 56 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दी। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5 प्रतिशत आरक्षण तय किया था जो पहले 30 प्रतिशत था। बाकी 2 प्रतिशत आरक्षण एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए तय किया गया था।

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