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बद्रीनाथ धाम के खुले कपाट : श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा, 2 घंटे में 10 हजार श्रद्धालु पहुंचे मंदिर

चमोली। भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार सुबह 6 बजे विधिपूर्वक खोल दिए गए। इसी के साथ चारधाम यात्रा 2025 का पूर्ण रूप से शुभारंभ हो गया। भारी बर्फ के बीच, मंत्रोच्चार, पुष्पवर्षा और भक्ति गीतों की गूंज में कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं में उल्लास का माहौल देखने को मिला।

महिलाओं ने गाए लोकगीत, सेना ने बजाईं धुनें

कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह चार बजे से शुरू हो गई थी। मंदिर के रावल (मुख्य पुजारी) ने पहले गणेश पूजन किया और फिर विधिविधान से कपाट खोले। इस मौके पर मौजूद महिलाओं ने गढ़वाली लोकगीत गाए और गढ़वाल राइफल्स के सैन्य बैंड ने पारंपरिक भक्ति धुनों से माहौल को भक्तिमय कर दिया।

2 घंटे में पहुंचे 10 हजार श्रद्धालु

कपाट खुलने के बाद महज दो घंटों में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुंचे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस शुभ अवसर पर भगवान बद्रीविशाल के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। उन्होंने तीर्थयात्रियों से मुलाकात कर व्यवस्थाओं का जायज़ा भी लिया।

40 क्विंटल फूलों से सजाया गया था मंदिर

बद्रीनाथ मंदिर को इस अवसर पर 40 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई, जिससे धाम का हर कोना भक्तिभाव में डूब गया। मंदिर समिति ने इस साल धाम में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर रोक लगाई है, नियम तोड़ने पर 5000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।

तप्त कुंड में स्नान के बाद दर्शन

बद्रीनाथ धाम में दर्शन से पहले श्रद्धालु तप्त कुंड में स्नान करते हैं। यह कुंड अलकनंदा नदी के गर्म जल स्रोत से जुड़ा है और मान्यता है कि इसमें स्नान कर भगवान बद्रीविशाल के दर्शन करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

150 रुपए में मिल रहा विशेष प्रसाद

मंदिर समिति ने इस वर्ष श्रद्धालुओं के लिए 150 रुपए में विशेष प्रसाद पैकेट तैयार किया है। इसमें भगवान का श्रृंगार, तुलसी माला और प्रसाद शामिल है, जिसे मंदिर परिसर में ही उपलब्ध कराया जा रहा है।

पॉलीथिन पर सख्ती, होटल-ढाबों को निर्देश

चमोली जिला प्रशासन ने इस बार यात्रा को पॉलीथिन मुक्त रखने का निर्णय लिया है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने होटल, ढाबा और दुकानदारों को पॉलीथिन का इस्तेमाल न करने की सख्त हिदायत दी है। यात्रा मार्ग के प्रमुख स्थानों जैसे कर्णप्रयाग, गोविंदघाट, जोशीमठ आदि में साफ-सफाई और सुरक्षा के निर्देश जारी किए गए हैं।

पीएम की मंजूरी से बद्रीनाथ मास्टर प्लान को मिली रफ्तार

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि केंद्र सरकार ने जोशीमठ और बद्रीनाथ पुनर्निर्माण कार्य के लिए ₹1700 करोड़ मंजूर किए हैं, जिसमें से ₹292 करोड़ की पहली किश्त जारी कर दी गई है। यह धनराशि सुरक्षा, पर्यटन और श्रद्धालु सुविधाओं के विकास में खर्च की जाएगी।

जगद्गुरु शंकराचार्य बोले- आध्यात्मिक आनंद का स्रोत है बद्रीनाथ

मौके पर मौजूद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा, “बद्रीनाथ धाम केवल एक स्थान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। यहां आकर हर व्यक्ति को शांति और आनंद की अनुभूति होती है।”

नवंबर तक खुला रहेगा मंदिर

चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया से हुई थी, जब गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले गए। 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ चारों धाम अब श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं। मंदिर हर साल मई से नवंबर तक ही खुला रहता है, इसके बाद भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ में होती है।

बद्रीनाथ- धरती पर बैकुंठ, जहां मिलता है मोक्ष का द्वार

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ वह स्थल है जहां भगवान विष्णु ने नर-नारायण रूप में तप किया था। यहां स्थित शालीग्राम से बनी चतुर्भुज मूर्ति की पूजा होती है। मान्यता है- जो बदरी जाए, वो ओदरी न आए, अर्थात जो बद्रीनाथ धाम की यात्रा कर लेता है, उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता।

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