अयोध्या। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी होगी। इसी दिन ठीक 12 बजे रामलला के जन्मदिन के अवसर पर सूर्यदेव रामलला का सूर्य तिलक करेंगे। इस दौरान सूर्य की किरण करीब 4 मिनट तक भगवान रामलला के ललाट पर पड़ेगी। शुक्रवार को राम मंदिर में रामलला के सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया गया। दर्पण के जरिए भगवान के ललाट पर सूर्य की किरण पहुंचाई गई। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
ललाट से निकले प्रकाश से चमक उठा पूरा गर्भग्रह
सूर्य तिलक के ट्रायल के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर पड़ रही हैं। ये किरणें इस तरह से चमक रही हैं, जैसे खुद सूर्यदेव रामलला का तिलक कर रहे हैं। सूर्य तिलक का ये क्षण अद्भुत दिख रहा है। जैसे ही सूर्य की किरणें मस्तक पर पड़ीं, रामलला का मुखमंडल प्रकाशित हो उठा और उस प्रकाश से पूरा गर्भग्रह चमक उठा।
हर साल रामनवमी पर होगा सूर्य तिलक
IIT रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को तैयार किया है। इसके डिजाइन को तैयार करने में टीम को पूरे दो साल लग गए। 2021 में राम मंदिर के डिजाइन पर काम शुरू हुआ था। सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की प्रतिमा के माथे पर पड़ेंगी।
https://twitter.com/psamachar1/status/1779040009292538321
कैसे पहुंची सूर्य की किरणें ?
यह सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें एक रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस, पीतल पाइप से किरणें मस्तक तक पहुंचाई गईं। CBRI के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि रामनवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से तय होती है। सूर्य तिलक तय समय पर हो, इसीलिए सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं, जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलेंगे। इसके लिए बेंगलुरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब बनाया है।
ये भी पढ़ें- Baisakhi 2024 : देशभर में घूमधाम से मनाई जा रही बैसाखी, इसी दिन हुई थी खालसा पंथ की स्थापना, जानिए क्या है इसके पीछे की मान्यता?