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भारत को झटका : यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने भारतीय कुश्ती महासंघ की सदस्यता की रद्द, चुनाव नहीं होने की वजह से लिया फैसला

नई दिल्ली। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) की सदस्यता रद्द कर दी है। UWW द्वारा दी गई समय सीमा में भारतीय कुश्ती संघ के पदाधिकारियों के चुनाव नहीं होने की वजह से यह कार्रवाई की गई है। ऐसे में 16 से 22 सितंबर के बीच सर्बिया में होने वाले पुरुषों के वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में भी भारतीय पहलवान भारतीय झंडे के तले नहीं खेल पाएंगे।

15 जुलाई तक की थी डेडलाइन

महिला पहलवानों की ओर से WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर लगाए गए यौन शोषण के आरोपों के बाद यूनाइटेड वर्ल्ड रेसल‍िंग ने 30 मई को भारतीय कुश्ती संघ को पत्र लिखा था। जिसमें अगले 45 दिन (15 जुलाई तक) भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव कराने को कहा था। इसके साथ ही ऐसा नहीं होने WFI की सदस्यता सस्पेंड करने की भी बात कही थी।

WFI में 15 पदों के लिए होने थे चुनाव

WFI  में 15 पदों के लिए चुनाव 12 अगस्त को होने वाले थे। उत्तर प्रदेश से भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह सहित चार उम्मीदवारों ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल किया। चंडीगढ़ रेसल‍िंग बॉडी के दर्शन लाल ने महासचिव पद के लिए नामांकन किया था, जबकि उत्तराखंड के एसपी देसवाल ने बृज भूषण कैम्प की ओर से कोषाध्यक्ष के लिए नामांकन किया था।

चुनाव पर 28 अगस्त तक स्टे

12 अगस्त को मतदान से एक दिन पहले हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा की अगुवाई वाली हरियाणा कुश्ती संघ (HWA) ने इसे पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। HWA का कहना था कि उसकी जगह हरियाणा एमैच्योर रेसलिंग एसोसिएशन (HAWA) को वोटिंग का अधिकार दिया गया है जो गलत है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने WFI के चुनाव पर 28 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी।

महिला पहलवानों ने लगाया है शोषण का आरोप

कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने शोषण का आरोप लगाया था। जिसके बाद बृजभूषण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। पहलवानों के विरोध प्रदर्शन और कई राज्य इकाइयों की कानूनी याचिकाओं के चलते कुश्ती महासंघ को कई बार चुनाव टालना पड़ा।

बृजभूषण शरण सिंह पर FIR में लगे ये आरोप

दोनों एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य इरादे) का हवाला दिया गया है। जिसमें एक से तीन साल की जेल की सजा है। एक प्राथमिकी में 6 पहलवानों के आरोप शामिल हैं और इसमें डब्ल्यूएफआई सचिव विनोद तोमर का भी नाम है।

दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है और POCSO अधिनियम की धारा 10 को भी लागू करती है, जिसमें पांच से सात साल की कैद होती है। जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है, वे कथित तौर पर 2012 से 2022 तक भारत और विदेशों में हुईं।

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