Aakash Waghmare
7 Nov 2025
सिडनी। ऑस्ट्रेलिया में एक 40 वर्षीय मरीज को आर्टिफिशियल हार्ट की मदद से 100 दिन तक जिंदा रखा गया। आर्टिफिशियल हार्ट के साथ 100 दिन से अधिक समय तक जीने के बाद शख्स अस्पताल से बाहर आया। यह पहला अवसर है, जब कोई व्यक्ति एक पूर्ण कृत्रिम हृदय के साथ अस्पताल से बाहर आया है। शख्स को डोनर नहीं मिल रहा था, इसलिए डॉक्टरों ने 100 दिन तक उसे ऑर्टिफिशियल हार्ट के सहारे जिंदा रखा। डोनर हार्ट मिलने के बाद उसकी सफल सर्जरी की गई और फिर कुछ दिनों बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इस व्यक्ति ने अपनी सर्जरी 22 नवंबर को सिडनी के सेंट विंसेंट्स अस्पताल में करवाई थी।
BiVACOR ऑर्टिफिशियल हार्ट को क्वींसलैंड के डॉ. डैनियल टिम्स द्वारा विकसित किया गया है। यह दुनिया का पहला इम्प्लांटेबल रोटरी ब्लड पंप है, जो पूरी तरह से मानव हृदय की जगह ले सकता है। इस हृदय में चुंबकीय लेविटेशन तकनीक का उपयोग किया गया है, जो एक स्वस्थ हृदय के प्राकृतिक रक्त प्रवाह को अनुकरण करता है। इस तकनीक के कारण रक्त का प्रवाह स्वाभाविक रूप से चलता है, जो रोगी के शरीर के लिए सहायक होता है।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 2.3 करोड़ लोग हार्ट की समस्या से पीड़ित हैं, लेकिन इनमें से लगभग 6,000 लोग ही डोनर हृदय प्राप्त कर पाते हैं। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस कृत्रिम हृदय की डिवाइस को विकसित और कमर्शियलाइज करने 50 मिलियन डॉलर का फंड आवंटित किया है। यह कृत्रिम हृदय विशेष रूप से उन रोगियों के लिए डिजाइन किया गया है जिन्हें अंत:स्थिति बिवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर जैसी गंभीर हृदय समस्या है।