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ऑस्ट्रेलिया में फिर निशाना बना हिंदू मंदिर: खालिस्तान समर्थकों ने लक्ष्मी नारायण मंदिर में की तोड़फोड़, दीवारों पर लिखे मोदी विरोधी नारे

सिडनी। ऑस्ट्रेलिया में एक बार फिर एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया है। ब्रिसबेन के मशहूर श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में शनिवार को तोड़फोड़ की गई। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये हमला खालिस्तान समर्थकों ने किया है। इसके अलावा अज्ञात लोगों ने यहां दीवारों पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बातें भी लिखीं। इससे पहले 21 फरवरी की रात ब्रिस्बेन में इंडियन कॉन्स्यूलेट पर हमला हुआ था।

मंदिर के अध्यक्ष ने कही ये बात

मंदिर के अध्यक्ष सतिंदर शुक्ला ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए बताया कि, सुबह के समय श्रद्धालु मंदिर में पूजा-पाठ के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने देखा कि मंदिर की दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। शुक्ला ने आगे कहा कि, वे प्रबंधन समिति के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद इस पर विस्तृत बयान देंगे। वहीं मंदिर के पास में ही रहने वाले रमेश कुमार ने बताया कि, “मुझे पता है कि मेलबर्न के हिंदू मंदिरों में क्या हुआ है। लेकिन इस नफरत का सामना करना अपने आप में एक बहुत ही दुखद अनुभव है।”

हिंदुओं को डराने के लिए किया हमला

हिंदू ह्युमन राइट्स की निदेशक सारा गेट्स का कहना है कि, सिख फॉर जस्टिस की तर्ज पर इस घृणा अपराध को अंजाम दिया गया है। यह ऑस्ट्रेलिया में रह रहे हिंदुओं को डराने के लिए किया गया है।

2 महीनों में यह चौथी घटना

  • पिछले 2 महीनों में ऑस्ट्रेलिया में किसी मंदिर में तोड़फोड़ की यह चौथी घटना है।
  • 12 जनवरी: सबसे पहले मेलबर्न में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे मिले थे।
  • 18 जनवरी: मेलबर्न के श्री शिव विष्णु मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी।
  • 23 जनवरी: मलबर्न के अल्बर्ट पार्क में बने इस्कॉन मंदिर में भारत विरोधी नारे लिखे मिले थे।
  • ब्रिसबेन में एक अन्य हिंदू मंदिर, गायत्री मंदिर को खालिस्तान चरमपंथियों से डराने-धमकाने वाले फोन आए थे। ये फोन पाकिस्तान के लाहौर शहर से कथित रूप से खालिस्तान समर्थकों ने किए थे।

ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं की संख्या

ऑस्ट्रेलिया में हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। 2021 में हुए जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, यहां हिंदुओं की कुल आबादी 6.84 लाख है। ये ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 2.7% हिस्सा है। यहां चीन के बाद विदेशी छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की है।

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