
मप्र संस्कृति संचालनालय द्वारा रवींद्र भवन के हंसध्वनि सभागार में किशोर कुमार की जन्मस्मृति में ‘ये शाम मस्तानी’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सिंगर पवनदीप राजन और अरुणिता कांजीलाल ने अपने गानों के साथ ही किशोर कुमार के गानों की परफॉर्मेंस दी। इस कार्यक्रम में बिना प्रवेश-पत्र के एंट्री नहीं मिलने पर विवाद की स्थिति बन गई। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे कई लोगों ने धक्का-मुक्की करने के आरोप भी लगाए। वहीं, अंजनी सभागार में श्रोताओं के लिए एलईडी लगाई गई थी। इस दौरान अंजनी सभागार के फुल होने पर नीचे बैठकर पवनदीप और अरुणिता के कॉन्सर्ट को सुना।
कॉलेज बैंडों की प्रस्तुति के बाद पवनदीप राजन और अरुणिता कांजीलाल ने अपने ग्रुप के साथ विशेष प्रस्तुति दी। उन्होंने कॉन्सर्ट की शुरुआत लग जा गले… गाने के साथ की। इसके बाद ये दिल तुम बिन…, बेजुबां सा…, नैना लगया… आदि गाने सुनाए, जिन्हें सुनकर दर्शक झूम उठे।
बच्चों को संगीत सिखाने अपने गांव में खोलना है म्यूजिक स्कूल : पवनदीप
मैंने सिंगिंग के कई रियलिटी शो में भाग लिया है, जहां पर कई अच्छे कंटेस्टेंट थे। मैं कभी जीतने के लिए नहीं आया था, बस मुझे सिंगिंग करनी थी। इसलिए यही सोचता था कि मौका मिले और अच्छी सिंगिंग परफॉर्मेंस दूं। यह बात पवनदीप राजन ने आईएम भोपाल के साथ विशेष चर्चा में कही। वे रवींद्र भवन में आयोजित ‘ये शाम मस्तानी’ कार्यक्रम में परफॉर्म करने के लिए आए थे। पवनदीप ने कहा कि मेरे गांव में मेरा म्यूजिक स्कूल खोलने का प्लान है, ताकि वहां पर बच्चों को संगीत की शिक्षा दी जा सके, जिससे वह अच्छे सिंगर बन सकें।
उन्होंने कहा कि रियलिटी शो यंग सिंगर्स के लिए शॉर्टकट का रास्ता है। मैं मानता हूं कि सक्सेस जैसा कुछ नहीं होता। ट्रॉफी से कुछ नहीं होता है। जीवन को अच्छे से जीना चाहिए। मेरे और अरुणिता के बीच यदि कोई अफवाह है भी तो पांच साल तक वह अफवाह ही रहेगी। मुझे अभी बंधन में बंधना नहीं है। पांच साल बाद जो भी होगा, देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे भोपाल आकर काफी अच्छा लगा। उम्मीद नहीं थी कि हमें भोपाल में लोगों का इतना अधिक प्यार देखने को मिलेगा।
ऑडिटोरियम में एंट्री के लिए प्रवेश- पत्र नहीं होने पर हमारे साथ धक्का- मुक्की की गई। जब प्रवेश-पत्र का वितरण होने पर हम संस्कृति संचालनालय गए तो हमसे कहा गया कि पास खत्म हो गए हैं, जबकि पास किसी को बांटे ही नहीं गए। -सुनीता सक्सेना, दर्शक
मेरे पास प्रवेश-पत्र नहीं था। मुझे पता नहीं था कि प्रवेश-पत्र से एंट्री दी जाएगी। मैं करीब एक घंटे तक रवींद्र भवन के खड़ा रहा, लेकिन मुझे एंट्री नहीं मिली। जबकि कई लोगों ने अंदर जाकर अपने प्रवेश-पत्र दूसरों को देकर एंट्री भी दिलाई। -विजेंद्र सिंह, दर्शक