
वाशिंगटन। भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स की हड्डियों से कैल्शियम झड़ रहा है। इस स्थिति को बोन डेंसिटी लॉस कहा जाता है। इसमें हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी हो जाती है। दरअसल सुनीता विलियम्स साथी एस्ट्रोनॉट बुच विलमोर के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गई थीं। दोनों एस्ट्रोनॉट 8 जून को आईएसएस पहुंचे थे और 14 को वापिस लौटना था। मगर स्पेसक्रॉफ्ट में हीलियम लीक होने की वजह से वो करीब 60 दिन से स्पेस में फंसे हुए हैं। इस दौरान दोनों को कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि नासा दोनों को वापिस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
स्पेस में ग्रेविटी नहीं, इसलिए पड़ता है हड्डियों पर वजन
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्पेस में ग्रेविटी नहीं होती, जिसे माइक्रोग्रेविटी कहा जाता है। इसकी वजह से हड्डियों और मांसपेशियों के टिश्यू तेजी से खत्म होने लगते हैं। स्पेस में धरती की तरह हड्डियों पर वजन का प्रेशर नहीं पड़ता है, जिसके कारण बोन डेंसिटी और तेजी से कम होने लगती है।
स्पेस में सेहत की ये दिक्कतें : स्पेस में गुरुत्वाकर्षण की कमी की वजह से एस्ट्रोनॉट्स की मांसपेशियां बहुत तेजी से कमजोर होती हैं। इस समस्या को लेकर जब धरती के गुरुत्वाकर्षण में एस्ट्रोनॉट्स लौटते हैं तो उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
मसल्स पर भी पड़ता है असर : अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी से सुनीता और बुश मांसपेशियों और हड्डियों में घनत्व में कमी महसूस कर सकते हैं, जोकि ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति है। ISS पर व्यायाम दिनचर्या इन प्रभावों को कम करने में मदद करती है, लेकिन जोखिम रहता है।
दूध-पनीर समेत ये कैल्शियम फूड करेंगे बचाव
बोन डेंसिटी लॉस से बचने के लिए खाने में कैल्शियम को शामिल करें। दूध, पनीर, दही, हरी सब्जियां, मछली, खसखस के बीज आदि में बहुत सारा कैल्शियम होता है। इसकी खपत के लिए विटामिन डी का लेवल भी सही होना चाहिए।
बोन हेल्थ को बनाए रखने एक्सरसाइज भी आएगी काम
बोन हेल्थ को बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज भी आवश्यक है। एक तो यह खाने से न्यूट्रिएंट का अवशोषण बढ़ाती है। दूसरा हड्डियों पर पॉजिटिव स्ट्रेस बनाकर मजबूती देती है। इसके लिए तेज कदमचाल, जॉगिंग, टेनिस, बैडमिंटन, डांस, सीढ़िया चढ़ने जैसी एक्सरसाइज की मदद लें।
माइक्रोग्रेविटी के कारण ये हो सकते हैं रोग
- शरीर के फ्लूइड वॉल्यूम में कमी चेहरे व पैर में सूजन
- किडनी स्टोन का खतरा
- बॉडी बैलेंस और कॉर्डिनेशन कम होना
- आंखें खराब होने का डर
- रेडिएशन से डीएनए डैमेज का खतरा
- हड्डियों के लिए परेशानी