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ब्रेन फंक्शन तेज करके तनाव कम करती है अश्वगंधा, इसलिए सोशल मीडिया पर हो रही ट्रेंड

डॉक्टर्स का कहना, अश्वगंधा फायदेमंद है, लेकिन अपनी प्रकृति जाने बिना न करें खुद से इसका सेवन

प्रीति जैन- सोशल मीडिया पर पिछले कुछ समय से हैशटैग अश्वगंधा प्रचारित किया जा रहा है। अमेरिका सहित कई देशों के इन्फ्लुएंसर्स इस पर वीडियो बना रहे हैं और कई इंटरनेशनल मैग्जीन में इसके फायदों पर चर्चा की जा रही है। कोरोना के बाद से भारत में भी जड़ी- बूटियों और आयुर्वेद की तरफ लोगों का रूझान बढ़ा है और सप्लीमेंट्स से रूप में अश्वगंधा से बने कैप्सूल लिए जा रहे हैं। आयुर्वेदिक कंपनियां इन्हें स्ट्रेस बस्टर और स्टेमिना बूस्टर के फायदों के साथ प्रमोट कर रही हैं और अब यह ड्रग स्टोर पर भी मिलने लगे हैं। आखिर इसके इतने फायदे क्यों ट्रेंड कर रहे हैं और क्यों, कैसे और किन परिस्थितियों में इन्हें लेना चाहिए यह जानने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सकों से बात की, जिन्होंने इसे लेने के तरीके बताए।

मेटाबॉलिक हेल्थ को करती है ठीक

तनाव से निपटने के लिए देश-विदेश में अब अश्वगंधा के कैप्सूल खाएं जा रहे हैं। मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि तनाव हमारी हेल्थ के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के 44 प्रतिशत कामगार भारी तनाव से गुजर रहे हैं, जिसके उनकी पूरी मेटाबॉलिक हेल्थ गड़बड़ा जाती है। चूंकि अश्वगंधा तनाव को कम करता है, यही कारण है कि पश्चिमी देशों में भी अश्वगंधा का सेवन बेहद पॉपुलर हो रहा है और भारत तो इसका सेवन पहले से हो रहा है, पर अब और बढ़ा है।

लंबे समय तक लेने पर करती है गर्मी

अश्वगंधा निश्चित तौर पर गुणों से भरी मूल (जड़) है, लेकिन वात, पित्त और कफ की प्रकृति जाने बिना अपने मन से इसके कैप्सूल नहीं लेना चाहिए, क्योंकि सभी के शरीर में यह अलग- अलग परिणाम देती हैं। दरअसल, अश्वगंधा ब्रेन के फंक्शन को तेज करती है। ऊर्जा व बल प्रदान करने से ब्रेन और बॉडी की फिजिकल स्ट्रेथनिंग बढ़ती है। वात प्रकृति वालों के लिए यह अच्छी होती है, लेकिन अकेले अश्वगंधा काम नहीं करती, बल्कि इसके साथ व्यक्ति की प्रकृति देखकर कॉम्बिनेशन बनाने होते हैं, अन्यथा यह गर्मी भी कर जाती है, तो बिना चिकित्कीय परामर्श इसे न लें। -डॉ. ऋषि मिश्रा, अमृतम आयुर्वेद

तनाव कम करने में होती है मददगार

अश्वगंधा न्यूरोट्रांसमीटर पाथवे को प्रभावित करती है। इससे कॉर्टिसोल हार्मोन का लेवल कम होता है। यही वह हार्मोन है जिससे इंसान में तनाव होता है। कॉर्टिसोल लेवल जैसे ही कम होता है बॉडी रिलेक्स महसूस करती है, इसलिए इसे स्ट्रेस रिलीवर कहा जाता है। मेल और फीमेल फर्टिलिटी में भी यह सुधार करती है। हार्मोनल इंबैलेंस को ठीक और नींद में सुधार करती है। हालांकि एक बार में 21 दिन से ज्यादा अश्वगंधा कैप्सूल नहीं लेना चाहिए अन्यथा पेट खराब होने की शिकायत भी होती है। पहले से कोई बीमारी हो तो डॉक्टर से पूछकर ही इसे लें। – डॉ. मोनिका जैन, वैद्यम आयुर्वेद

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