नई दिल्ली। आज अनंत चौदस है। इस दिन भगवान गणपति को विदा किया जाता है, साथ ही भगवान विष्णु की आराधना भी की जाती है। गणेश भक्त भादो शुक्ल गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना करते हैं और उसके बाद से उनकी पूजा करते हैं। 10 दिनों तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद शास्त्रोक्त विधि से अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान की विदाई की जाती है। शास्त्रों के अनुसार विधि-विधान से भगवान गणेश का विसर्जन करने से पूरे साल बप्पा की कृपा बनी रहती है। घर परिवार में सुख-शांति और धन-वैभव में वृद्धि होती है। इस बार अनंत चौदस पर बुधादित्य योग बन रहा है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु को अनंत सूत्र बांधते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। तो आइए जानते हैं अनंत चौदस का महत्व, तिथि और व्रत की विधि के बारे में…
बुधादित्य योग
इस बार अनंत चौदस भक्तों के लिए और भी मंगलकारी रहेगी। इस बार अनंत चौदस के दिन मंगल, बुध और सूर्य तीनों ही कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। इस वजह से इस दिन बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
अनंत चौदस का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु को अनंत सूत्र बांधा जाता है। ये अनंत सूत्र कपड़े, सूत या रेशम का बनाया जाता है। पूजन के बाद या धागा अपने बाजू पर बांध लिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस सूत्र को बांधने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
पूजा की विधि
- अनंत चतुर्दशी के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें ।
- अब पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।
- कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
- धागे पर कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर उसमें चौदह गांठे बांधकर अनंत सूत्र बनाएं।
- इस सूत्र को भगवान विष्णु के समक्ष रखें और विष्णु जी के साथ सूत्र की भी पूजा करें।
- पूजा के दौरान इस मंत्र का बार-बार जाप करें।
- अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
- अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
- पूजन होने के बाद अनंत सूत्र को अपने और परिवार में सबके बाजू पर बांध दें।
भगवान गणेश के विर्जसन की उत्तम विधि
गणेश विसर्जन के पहले बप्पा का पूजन करें। उन्हें मोदक और फल का भोग लगाएं और मन्त्रों का जाप करें। उसके बाद आरती और पूजा में जाने-अनजाने हुई त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना करें। अब उन्हें विदाई करने की प्रार्थना करें। अब लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाएं, गंगाजल से इसे पवित्र करें। भगवान को इस पाट पर रखें, और विधि-विधान से पूजा करें। भगवान को फल, फूल, मोदक और कपड़े अर्पित करें। फिर चावल, गेहूं, पंचमेवा और कुछ सिक्के डाल कर पोटली बनाएं तथा इसे गणेश प्रतिमा के पास रखें। अब इन्हें गणपति बप्पा मोरिया के उद्घोष के साथ विसर्जन के लिए ले जाएं। विसर्जन स्थल पर रखकर पुनः भगवान की आरती करें। उसके बाद क्षमा प्रार्थना के साथ उन्हें विसर्जित करें।
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
19 सितंबर की प्रातः मुहूर्त | आज सुबह 07:40 से दोपहर बाद 12:15 बजे तक |
विसर्जन के लिए आज का अपराह्न मुहूर्त | दोपहर बाद 01:46 से 03:18 बजे तक |
सायंकालीन मुहूर्त | आज शाम 06:21 बजे से 10:46 बजे तक |
रात्रि मुहूर्त | 20 सितंबर को मध्यरात्रि के बाद 01:43 AM से 03:12 AM तक |
20 सितंबर को उषाकाल मुहूर्त | प्रातः काल 04:40 बजे से 06:08 बजे तक |
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ | 19 सितंबर 2021 को प्रातः काल 05:59 AM बजे से |
चतुर्दशी तिथि समाप्त | 20 सितंबर 2021 दिन सोमवार को प्रातः काल 05:28 बजे तक |