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फाइटर जेट्स के साये में हुई थी ‘खुदा गवाह’ की शूटिंग, अमिताभ बच्चन के फैन थे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति

अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा है। ऐसे में बॉलीवुड सितारे उन दिनों को याद कर रहे हैं जब वो अफगानिस्तान गए थे। वहां भी लोग बॉलीवुड की फिल्मों को काफी पसंद करते थे।

मुंबई। अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा है। ऐसे में बॉलीवुड सितारे उन दिनों को याद कर रहे हैं जब वो अफगानिस्तान गए थे। वहां भी लोग बॉलीवुड की फिल्मों को काफी पसंद करते थे। इतना ही नहीं वहां के लोगों के साथ ही वहां के राष्ट्रपति रहे नजीबुल्ला अहमदजई भी अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े फैन थे। मेगास्टार अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी की फिल्म ‘खुदा गवाह’ की शूटिंग वहीं हुई थी। इस फिल्म की शूटिंग के लिए अमिताभ बच्चन जब अफगानिस्तान पहुंचे थे तो वहां के राष्ट्रपति नजीबुल्ला अहमदजई ने उनकी खातिरदारी बहुत अच्छे से की थी।

युद्ध के दौरान हुई फिल्म की शूटिंग

खुदा गवाह की शूटिंग के लिए डायरेक्टर मुकुल एस आनंद का अफगानिस्तान को चुनना बड़ा फैसला था। खुदा गवाह के कुछ सीन्स की शूटिंग काबुल और मजार-ए-शरीफ में हुई थी। अफगानिस्तान में उन दिनों फिल्म की शूटिंग करना जोखिम भरा था। क्योंकि वहां उस समय मुजाहिदीन की लड़ाई चल रही थी।

तत्कालीन राष्ट्रपति थे बिग बी के फैन

अफगानिस्तान में फिल्म की शूटिंग के लिए तत्कालीन (1991) राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह ने खुद ही सारे इंजताम किए थे। दरअसल, वो अमिताभ के बहुत बड़े फैन थे। मोहम्मद नजीबुल्लाह की बेटी भी अमिताभ की फैन थीं।

सुरक्षा के किए थे पुख्ता इंतजाम

खुदा गवाह की शूटिंग के लिए राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह ने सुनिश्चित किया था कि अमिताभ बच्चन-श्रीदेवी या फिल्म के किसी भी सदस्य को कोई नुकसान ना हो। उन्होंने लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले सैन्य हेलीकॉप्टर और अपना निजी सुरक्षा दस्ता सबकी हिफाजत के लिए मुहैया करवाया था। 1992 में रिलीज हुई फिल्म ‘खुदा गवाह’ भी उन भारतीय फिल्मों से एक है जिसे अफगान लोगों ने खूब देखा।

एक दिन के लिए रोकी गई थी लड़ाई

एक इंटरव्यू में अफगानिस्तान के राजदूत रहे शाइदा मोहम्मद अब्दाली ने बताया था कि, राष्ट्रपति की बेटी को जब पता चला कि अमिताभ बच्चन अफगानिस्तान आए हैं, तो उन्होंने मुजाहिदीन की लड़ाई रोकने के लिए अपने पिता से गुजारिश की थी। राष्ट्रपति ने बेटी का नाम लेकर मुजाहिदीन से दरख्वास्त की, कि वे अपनी लड़ाई एक दिन के लिए रोक दें ताकि अमिताभ बच्चन शहर घूम सकें। मुजाहिदीन भी बिग बी के फैन थे और उन्होंने बिग बी के लिए अपनी एक दिन की लड़ाई रोक दी थी। सन 1987 से 1992 तक नजीबुल्ला अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रहे। वहीं सन 1996 में तालिबान ने ही उनका बहुत क्रूरता के साथ कत्ल कर दिया।

अमिताभ बच्चन का ब्लॉग

एक्टर ने इस फिल्म को याद करते हुए कुछ समय पहले अपने ब्लॉग पर लिखा था, “मुझे नहीं पता कि अब मेरे मेजबान कहां है? मेरे दिल में ये ख्याल आता है कि वे कहां होंगे?”

अफगानिस्तान के उन दिनों के हालात पर सोशल मीडिया पर अपने एक लेख में अमिताभ बच्चन लिखते हैं, “सोवियत के लोग देश छोड़कर जा चुके थे और सत्ता आ चुकी थी नजीबुल्ला अहमदजई के हाथों, जो खुद लोकप्रिय हिंदी सिनेमा के बड़े वाले प्रशंसक थे। वह मुझसे मिलना चाहते थे और हमारा आदर सत्कार बिल्कुल शाही अंदाज में हूआ। हमारा मजार ए शरीफ में वीआईपी स्वागत हुआ और हमने उस बेहद खूबसूरत देश को एयरफोर्स के जहाजों के साये में करीब पूरा मथ डाला था। हमें होटल में रूकने से मना कर दिया गया। एक ने हमारे लिए अपना पूरा महल खाली कर दिया और जब तक हम रहे वह पास में ही किसी दूसरे घर में रहता रहा…।”

24 घंटे रहता था पहरा

अफगानिस्तान में कुछ ऐसी जगह भी थी जहां सिर्फ घोड़ों के जरिये पहुंचा जा सकता था। उस समय अमिताभ बच्चन और उनके काफिले को छोटे-छोटे हवाई जहाजों से नेपाल की सीमा तक पहुंचाया जाता और वहां से पूरी यूनिट घोड़ों की पीठ पर लोकेशन तक पहुंचती थी। शूटिंग के दौरान 24 घंटे अमिताभ के सिर पर अफगानिस्तान एयरफोर्स के फाइटर जेट्स का पहरा रहता था।

अमिताभ को मिली थी शाही दावत

आगे बताते हैं कि ‘काबुल में शूटिंग के बाद जब इंडिया लौट रहे थे तो उस समय नजीब ने हमे राष्ट्रपति आवास पर शाही भोज में आमंत्रित किया। शानदार सजावट की गई थी।

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