नई दिल्ली। राजधानी में “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस” पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत के इतिहास, संस्कृति और कश्मीर की ऐतिहासिक धरोहर पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर पड़ा होगा और इतिहासकारों से आग्रह किया कि वे शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से आगे बढ़कर भारत के हजारों साल पुराने इतिहास को तथ्यों के साथ सामने लाएं।
कश्मीर में भारत की पुरानी संस्कृति का प्रमाण
गृह मंत्री ने कहा, “कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।” उन्होंने बताया कि 8000 साल पुरानी किताबों में झेलम और कश्मीर का उल्लेख है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर में भारत की 10,000 साल पुरानी संस्कृति का प्रमाण मिलता है।
इतिहास को नए दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता
शाह ने कहा कि भारत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है, लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान लिखे गए इतिहास ने इसे सीमित कर दिया। उन्होंने कहा, “इतिहास का मतलब केवल दिल्ली के कुछ इलाकों तक सीमित कर दिया गया। यह समय है कि इतिहास को तथ्यों के आधार पर फिर से लिखा जाए और भारत की असली सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया जाए।” उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि गुलामी के कालखंड में देश का प्रजातीय आत्मविश्वास तोड़ने के लिए झूठ फैलाए गए, जिसमें यह बताया गया कि भारत कभी एकजुट नहीं था।
अनुच्छेद 370 और 35ए : कश्मीर के विकास की राह में बाधा
गृह मंत्री ने अनुच्छेद 370 और 35ए को कश्मीर की प्रगति में सबसे बड़ा अवरोध बताया। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 ने कश्मीर और भारत के बीच अस्थाई संबंध का झूठ फैलाया और अलगाववाद के बीज बोए।” शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह अनुच्छेद हटाया गया, जिससे कश्मीर में विकास की नई राहें खुलीं। उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद आतंकवाद में 70% की कमी आई है।
आतंकवाद पर मोदी सरकार का प्रहार
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने न केवल आतंकवाद को काबू में किया, बल्कि आतंकी इको-सिस्टम को भी खत्म कर दिया। 80,000 करोड़ रुपए के पैकेज ने कश्मीर में विकास को बढ़ावा दिया। हमने न सिर्फ आतंकवाद पर काबू पाया, बल्कि पीएम मोदी सरकार ने आतंकी इको-सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया। मैं पीएम मोदी को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाकर कश्मीर की भाषाओं को नया जीवन देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।