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अमेरिका ने स्टूडेंट वीजा इंटरव्यू पर लगाई रोक, ट्रंप प्रशासन का नया फैसला, सोशल मीडिया प्रोफाइल की होगी सख्त जांच

वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए स्टूडेंट वीजा प्रक्रिया को लेकर बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप प्रशासन ने F, M और J वीजा कैटेगरी के तहत नए स्टूडेंट और एक्सचेंज विजिटर वीजा इंटरव्यू पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मंगलवार को विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह फैसला देश की यूनिवर्सिटियों में यहूदी विरोध और वामपंथी विचारधारा के प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।

नए इंटरव्यू शेड्यूल पर रोक

विदेश विभाग ने दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों को निर्देश दिया है कि वे स्टूडेंट वीजा के लिए कोई नया इंटरव्यू शेड्यूल न करें। हालांकि, जो इंटरव्यू पहले से शेड्यूल हैं, वे अपने तय समय पर आयोजित किए जा सकेंगे। आदेश में कहा गया है कि जब तक नए दिशानिर्देश जारी नहीं किए जाते, F (अकादमिक स्टडीज), M (वोकेशनल स्टडीज) और J (एक्सचेंज विजिटर) वीजा के लिए नए अपॉइंटमेंट्स की इजाजत नहीं दी जाएगी।

सोशल मीडिया पर होगी कड़ी निगरानी

इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच को और कड़ा बनाना है। आदेश के मुताबिक, अमेरिका आने वाले छात्रों के इंस्टाग्राम, टिकटॉक, एक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर उनके पोस्ट, लाइक्स, कमेंट्स और शेयर की बारीकी से समीक्षा की जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी मार्च से ही ऐसे छात्रों की सोशल मीडिया निगरानी कर रहे हैं, जो फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में शामिल रहे हैं। जांच में उन पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट तक लिए जा रहे हैं, जिन्हें बाद में डिलीट कर दिया गया हो, लेकिन जिन्हें अपमानजनक और राष्ट्रविरोधी समझा गया है।

हार्वर्ड समेत कुछ यूनिवर्सिटीज के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका की कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज पर यह आरोप लगाया था कि वे वामपंथी विचारों और यहूदी विरोधी माहौल को बढ़ावा दे रही हैं। इसी क्रम में ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के नए एडमिशन पर भी रोक लगा दी थी।

अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक कड़ा पत्र लिखते हुए कहा, “ट्रम्प प्रशासन हार्वर्ड को कैंपस में हिंसा, यहूदी विरोधी सोच और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार मानता है।”

इसके बाद हार्वर्ड में पढ़ रहे विदेशी छात्रों को या तो अन्य संस्थानों में ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए या फिर देश छोड़ने की चेतावनी दी गई। हालांकि, मैसाचुसेट्स कोर्ट ने इस फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी थी।

अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की इनकम पर पड़ेगा असर

इस नीतिगत बदलाव का असर अमेरिका की उच्च शिक्षण संस्थानों की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। वर्तमान में अमेरिका में 11 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिन्होंने 43.8 अरब डॉलर (लगभग 3.66 लाख करोड़ रुपए) का आर्थिक योगदान दिया है।

इस रोक से न केवल वीजा प्रक्रिया में देरी होगी, बल्कि वे यूनिवर्सिटीज भी प्रभावित होंगी जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर आर्थिक रूप से निर्भर हैं। कुछ संस्थान पहले ही अगले सेशन के लिए छात्र दाखिलों में गिरावट का सामना कर रहे हैं।

हजारों वीजा पहले ही रद्द किए जा चुके हैं- रुबियो

विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अमेरिकी संसद में बयान देते हुए कहा, “हजारों छात्रों के वीजा पहले ही रद्द किए जा चुके हैं। मुझे इसकी सटीक संख्या नहीं मालूम, लेकिन हमें इस दिशा में और सख्ती की जरूरत है।”

उन्होंने मार्च में भी कहा था कि अगर कोई छात्र अमेरिका में पढ़ने के बहाने यूनिवर्सिटी कैंपस में तोड़फोड़, प्रदर्शन, इमारतों पर कब्जा या अन्य प्रकार के अराजक आंदोलनों में शामिल होने की मंशा रखता है, तो उसे वीजा नहीं दिया जाएगा।

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