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भारत-पाक सीजफायर पर ओवैसी के सरकार से 4 बड़े सवाल, आतंकवाद पर सख्त रुख की मांग

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम समझौते पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने में करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है। ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए अमेरिका की भूमिका पर भी कड़ी टिप्पणी की है।

सीजफायर की घोषणा मोदी करते तो बेहतर होता

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि, उनकी इच्छा थी कि भारत-पाक संघर्षविराम की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते न कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। उन्होंने इसे भारत की कूटनीतिक स्वायत्तता के लिए गलत परंपरा बताया।

ओवैसी ने लिखा, “हम शिमला समझौते (1972) के बाद से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करते आए हैं। अब हमने इसे क्यों स्वीकार किया?”

आतंकवाद खत्म किए बिना शांति संभव नहीं

ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि, चाहे युद्धविराम हो या नहीं, भारत को पहलगाम आतंकी हमले के गुनहगारों का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि, जब तक पाकिस्तान अपनी धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल करता रहेगा, भारत के लिए स्थायी शांति की उम्मीद करना गलत होगा।

उन्होंने आगे लिखा, “हमें पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने की कोशिशें जारी रखनी चाहिए।”

सरकार से पूछे चार अहम सवाल

ओवैसी ने केंद्र सरकार से चार सीधे सवाल पूछे हैं:

  1. क्या प्रधानमंत्री मोदी के बजाय किसी विदेशी राष्ट्रपति को संघर्षविराम की घोषणा करनी चाहिए थी?
  2. क्या अमेरिका यह गारंटी देगा कि पाकिस्तान भविष्य में अपनी ज़मीन से आतंकवाद नहीं फैलाएगा?
  3. क्या हम पाकिस्तान को भविष्य के हमलों से रोकने में सफल हुए या सिर्फ संघर्षविराम ही हमारा लक्ष्य था?
  4. क्या बातचीत के लिए तटस्थ क्षेत्र स्वीकार करना सही था? और उसका एजेंडा क्या होगा?

IMF और पाकिस्तान पर साधा निशाना

ओवैसी ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पर पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का लोन देने के लिए तीखा हमला किया। उन्होंने इस राशि को “आतंकवाद की फंडिंग” बताया। उन्होंने लिखा, “IMF पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी फंड दे रहा है। अमेरिका, जर्मनी और जापान इस फ़ैसले में शामिल हैं।”

सेना के साथ खड़े रहने की बात

ओवैसी ने भारतीय सेना के बलिदान को सलाम करते हुए कहा कि, वे हमेशा बाहरी आक्रमण के समय सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़े रहे हैं और रहेंगे। उन्होंने शहीद जवानों- एम. मुरली नायक और एडीसीसी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि दी। साथ ही सीमा क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को संघर्षविराम से राहत मिलने की उम्मीद जताई।

पाकिस्तान ने फिर तोड़ा सीजफायर

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौता शनिवार शाम 5 बजे हुआ था, लेकिन महज 3 घंटे बाद ही पाकिस्तान ने फिर से उल्लंघन किया। रात 8 बजे से जम्मू-कश्मीर के अखनूर, पुंछ, नौशेरा, श्रीनगर, आरएसपुरा, सांबा, उधमपुर और राजौरी में गोलाबारी और ड्रोन हमले शुरू कर दिए गए।

22 अप्रैल से 10 मई के बीच पाकिस्तान की फायरिंग में 5 जवान शहीद, 60 से अधिक घायल और 17 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है।

राजनीतिक दलों को दी सीख लेने की सलाह

ओवैसी ने इस पूरे घटनाक्रम से सभी राजनीतिक दलों को सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा, “भारत तब मजबूत होता है जब हम एकजुट होते हैं। हमारे दुश्मन तभी फायदा उठाते हैं जब हम आपस में बंटे होते हैं।”

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