
नई दिल्ली। भारत में हर दो में से लगभग एक चिकित्सकीय नुस्खा (मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन) मानक दिशा-निर्देशों से अलग होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। टीम ने मानक उपचार दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए अगस्त 2019 और अगस्त 2020 के बीच चिकित्सकों द्वारा लिखे गए 4,838 प्रिस्क्रिप्शन का विश्लेषण किया।
ये नुस्खे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा स्थापित 13 रेशनल यूज ऑफ मेडिसिन सेंटर (आरयूएमसी) में जारी किए गए थे, जो देशभर के तृतीयक (टरशरी) देखभाल शिक्षण अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्थित हैं।
बिना कारण दवाएं लिखीं
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन 475 नुस्खों को मानक दिशा-निर्देशों से भिन्न पाया गया, उनमें से 54 में पैंटोप्राजोल है, जिसे सबसे अधिक बार लिखा गया था। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, पैरासिटामोल और मरहम समेत अन्य दवाओं के साथ 40 मिलीग्राम पैंटोप्राजोल टैबलेट भी लिखी गई थी। अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक इन्फेक्शन (यूआरटीआई) और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों के लिए इन 475 नुस्खों को लिखा गया था। तर्कहीन दवाओं के नुस्खे दवाओं के दुष्प्रभावों के रूप में सामने आते हैं।