
संजय कुमार तिवारी-जबलपुर। देश का दिल मप्र टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है। 2022 की गणना के मुताबिक, मप्र में सबसे अधिक 785 बाघ हैं। अब मप्र हाथियों का भी गढ़ बन रहा है। प्रदेश के टाइगर रिजर्वों में हाथियों की संख्या बढ़ रही है। यहां हाथियों के बढ़ने का कारण 2018 के बाद से इनका लगातार मध्य प्रदेश में आना बताया जा रहा है। हाथियों के यहां बसने का कारण अनुकूल जलवायु और पर्याप्त मात्रा में चारा है।
बांधवगढ़ : 1536 वर्ग किमी में फैले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्वों से अधिक 65 हाथी हैं। 2018 में जो 40 हाथियों का झुंड यहां आया था, वो लौटा नहीं है। इसने बांधवगढ़ को स्थाई घर बना लिया, इसके बाद इनकी संख्या भी बढ़ी है।
पन्ना : पन्ना टाइगर रिजर्व में दिसंबर 2024 में हथिनी अनंती ने बच्चे को जन्म दिया था, जिसके बाद हाथियों की संख्या 20 हो गई। बता दें कि इस टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक उम्र (100 साल से ज्यादा) की हथिनी वत्सला है।
संजय दुबरी : सीधी जिले के संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में 18 हाथी हैं, जो यहां घूमते दिखते हैं।
कान्हा : सबसे प्रसिद्ध और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण कान्हा नेशनल पार्क में वर्तमान में 16 हाथी हैं।
पेंच : मप्र और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित मप्र के सिवनी जिले में पेंच नेशनल पार्क में 10 हाथी हैं।
सतपुड़ा : मप्र के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में वर्तमान में हाथियों की संख्या 07 हैं।
हाथियों के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर बनाया जा रहा है, जो कुछ दिनों में तैयार हो जाएगा। यह पूरी तरह से हाईटेक कंट्रोल रूम होगा। इसमें हाथियों के हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी। – पीके वर्मा, उपसंचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व