
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने साफ निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सेना के ऑपरेशन्स और सुरक्षा बलों की मूवमेंट का लाइव कवरेज न किया जाए। साथ ही भारतीय रेलवे ने भी कश्मीर में तैनात गैर-कश्मीरी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा संबंधी एडवाइजरी जारी की है।
सेना की गतिविधियों का रियल टाइम कवरेज बैन
सरकार ने मीडिया आउटलेट्स, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया यूजर्स से अपील की है कि वे डिफेंस ऑपरेशन और सुरक्षा बलों की मूवमेंट से जुड़ी किसी भी गतिविधि का रियल टाइम कवरेज या विजुअल प्रसारित न करें। मंत्रालय ने कहा कि ऐसी रिपोर्टिंग अनजाने में दुश्मनों को रणनीतिक मदद पहुंचा सकती है और इससे देश की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है। मंत्रालय ने यह भी चेताया कि यदि कोई चैनल केबल टीवी नेटवर्क अमेंडमेंट एक्ट, 2021 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जारी एडवाइजरी में क्या लिखा गया
राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया यूजर्स को नियमों का पालन करने की सलाह दी गई है। रक्षा ऑपरेशन्स और सुरक्षा बलों की मूवमेंट के लाइव टेलीकास्ट और विजुअल रिपोर्टिंग से बचने को कहा गया है। संवेदनशील जानकारी का समय से पहले खुलासा, सैनिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। मीडिया को अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए ऑपरेशन्स के खत्म होने के बाद अधिकृत सरकारी अधिकारी की ब्रीफिंग का इंतजार करना चाहिए।
पहले भी सरकार ने टीवी चैनलों को एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशन्स के लाइव कवरेज पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, जिसे दोहराया गया है।
पिछली घटनाओं का दिया हवाला
सरकार ने एडवाइजरी में इतिहास का हवाला देते हुए समझाया कि किस तरह बिना सोचे-समझे की गई रिपोर्टिंग ने भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाया था। इसके लिए पिछले कुछ घटनाओं का हवाला भी दिया गया।
कारगिल युद्ध (1999) : मीडिया द्वारा भारतीय सेना की मूवमेंट और पोजीशन का सीधा प्रसारण किया गया था, जिससे पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों को भारतीय रणनीति की जानकारी मिल गई थी।
कंधार प्लेन हाईजैक (1999) : मीडिया ने हाईजैक यात्रियों के परिवारों की भावनात्मक अपीलों का लाइव प्रसारण किया था, जिससे आतंकवादियों को भारत पर भावनात्मक दबाव बनाने का मौका मिला और भारत को आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा।
मुंबई आतंकवादी हमले (2008) : 26/11 के हमलों के दौरान भी टीवी चैनलों ने ऑपरेशन की लाइव कवरेज दी थी, जिससे आतंकियों को भारतीय सुरक्षा बलों की हरकतों की जानकारी मिलती रही।
सरकार ने इन उदाहरणों से सबक लेते हुए मीडिया से जिम्मेदारी के साथ रिपोर्टिंग करने की अपील की है।
ISI और आतंकी संगठनों से हमले की आशंका
खुफिया एजेंसियों के इनपुट के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और उससे जुड़े आतंकी संगठन, विशेष रूप से गैर-स्थानीय व्यक्तियों, पुलिसकर्मियों (विशेषकर सीआईडी से जुड़े) और कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं। इनपुट में श्रीनगर और गांदरबल जिलों में आतंकवादी हमले की आशंका जताई गई है। इसके अलावा, आतंकी संगठनों द्वारा रेलवे के बुनियादी ढांचे, रेलवे कर्मचारियों और अन्य गैर-कश्मीरी नागरिकों को भी निशाना बनाए जाने का खतरा बताया गया है।
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