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11वीं में फेल होने के बाद संगीतकार बनने घर से भागा, थिएटर ग्रुप से जुड़कर बन गया एक्टर : रघुबीर यादव

पंचायत-4 में खुलेगा ‘प्रधानजी’ को गोली लगने का राज

अनुज मीणा- मैं 11वीं कक्षा में फेल हो गया था तो संगीतकार बनने के लिए घर से भाग गया था। म्यूजिक में काम करते हुए एक नाटक कंपनी ज्वाइन की। मुझे सीखते रहना काफी पसंद है और वहां पर पता चला कि एक्टर के लिए डांस, गाना, फिटनेस सब कुछ लाजमी है, तभी से अभिनय का सिलसिला चालू हो गया। यह बात पंचायत वेब सीरीज में प्रधानजी का किरदार निभाने वाले रघुबीर यादव ने आईएम भोपाल से विशेष चर्चा में कही।

अवसर था, मानसरोवर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के आयोजन का। उन्होंने बताया कि पंचायत के चौथे सीजन में पता चलेगा कि मेरे किरदार प्रधानजी को गोली किसने मारी। यह सवाल सभी के दिमाग में कौंध रहा है। रघुबीर यादव ने कहा कि पहले के समय में पापड़ बेचने वाला, चूरन बेचने वाला, भिखारी सभी सुरीले होते थे। उसी माहौल की जो तासीर थी वह अभी तक मुझ में हैं, जो मैं भूल नहीं सकता। ऐसा लगता है वह सारे मेरे गुरु हैं।

थिएटर में मिलता है संतोष

मुझे हमेशा से ही थिएटर में संतोष मिलता है। फिल्मों में तकनीक सहित कई वजहों से इतनी स्वतंत्रता नहीं मिलती। सीहोर की शूटिंग को हम आज भी काफी याद करते हैं।

संयमित जीवन जीना सिखाता है म्यूजिक

हम बचपन में ही तय कर लेते हैं कि हमें क्या बनना है। यही मेरे साथ हुआ। जबलपुर के पास मेरा गांव है, जहां मैं बचपन में बैलगाड़ी चलाता था। वहां पर 3-4 साल की उम्र में अहसास हो गया कि ईश्वर ने जो दिया है वो पहचान लीजिए। मेरा ताल्लुक म्यूजिक से था और अब मुझे महसूस होता है कि म्यूजिक एक ऐसी विधा है जो संयमित जीवन जीना सिखाती है। जिसके जरिए आपको सब कुछ मिल सकता है।

एनिमल मूवी के थीम सॉन्ग लिखने में लगा ढाई महीने का वक्त : राज शेखर

फिल्म एनिमल में ‘पापा मेरी जान…’, ‘पहले भी मैं…’ और ‘मरहम…’ गानों को लिखने वाले गीतकार राज शेखर ने शुक्रवार को आईएम भोपाल से विशेष चर्चा की। इसमें राज शेखर ने बताया कि ‘पापा मेरी जान…’ गाना लिखने में ढाई महीने का समय लगा। ‘पहले भी मैं…’ गीत को लिखने में सात दिन लगे। अपने कॅरियर की बात करूं तो मैं एमए की पढ़ाई के दौरान मीडिया से जुड़ा हुआ था। मास्टर्स की पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं मुंबई चला आया। पहले मैं आनंद एल. राय के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करता था। आनंद एल. राय की 2011 में आई फिल्म तनु वेड्स मनु से मैं गीतकार बना, जिसमें मेरे गीत ‘ऐ रंगरेज मेरे…’ और ‘मनु भैया का करी हैं…’ थे। पहले मुझे पता नहीं था कि सिनेमा में जाना है क्या करना है और आज भी पता नहीं है। अभी मजा आ रहा है तो कर रहे हैं, कल मजा नहीं आएगा तो छोड़ दूंगा। मैंने असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम शुरू किया था लेकिन उसमें मेरे पैसे कट जाते थे इसलिए मैंने सोचा कि यह काम मुझे रास नहीं आ रहा है तो मैं गीत लेखन में चला गया। उसमें मुझे अच्छे पैसे भी मिल रहे हैं।

एनिमल के गानों को उम्मीद से ज्यादा मिला प्यार

एनिमल के गानों को लोगों ने जो प्यार दिया है उसकी उम्मीद नहीं थी। जब कोई गाने लिखते हैं तो इस उम्मीद के साथ नहीं लिखते कि इसके लिए इतना प्यार मिलेगा या इसके लिए नहीं मिलेगा। हम हर फिल्म के लिए उतने ही ईमानदारी और शिद्दत के साथ काम करते हैं, बाकि जो लोगों को पसंद आ जाए। तनु वेड्स मनु की एल्बम के काफी गीत पॉपुलर हुए, उसके बाद करीब तीन साल तक मेरे पास कोई काम नहीं था। इसका कारण मुझे भी समझ नहीं आया कि मेरे पास क्यों काम नहीं था। इसके बाद मैंने टेलीविजन में डायलॉग्स लिखना शुरू किया। मैंने सावधान इंडिया सहित कई टीवी सीरियल्स में डायलॉग्स लिखे।

संदीप रेड्डी के साथ काफी अच्छा रहा एक्सपीरियंस

संदीप रेड्डी वांगा के साथ काम करने का मेरा एक्सपीरियंस काफी अच्छा रहा। बाहर उनकी जो छवि है कि वह गुस्सैल और मनमर्जी के मालिक की है। इससे अलग मुझे वह काफी विनम्र और प्यारे इंसान लगे। काफी मजेदार प्रोजेक्ट था और लोगों ने जिस तरह का प्यार एनिमल के गानों को दिया उसके लिए मैं लोगों का शुक्रगुजार हूं। आने वाले दिनों में मेरे कई प्रोजेक्ट्स आने वाले हैं, जिनमें फिर आई हसीन दिल रूबा, मिस मैच सीजन-3 के साथ दो-तीन फिल्में भी हैं।

भोपाल को संभाल कर रखें

भोपाल के बारे में राज शेखर ने कहा कि भोपाल बहुत प्यारा शहर है। उन्होंने भोपाल वासियों से अपील की है कि आप इस शहर को संभाल कर रखें। यहां पर इतनी प्यारी झीलें, तालाब हैं और लोग भी काफी प्यारे हैं। बातचीत में भोपाली लहजा भी काफी खास हैं। यहां पर गाड़ी को तेज भगाना होता है तो कहते हैं कि फर्राट ले लो, जो सुनने में अच्छा लगता है।

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