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मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर 30 साल बाद लॉबिंग की नौबत!

राजीव सोनी-भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद को लेकर 30 साल बाद एक बार फिर जोर-शोर से लॉबिंग चल पड़ी है! प्रचंड बहुमत से जीतकर आई भाजपा में यह पहला मौका है जब एक साथ कई दिग्गजों के नाम दावेदार के बतौर उभरे हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित दावेदार माने जा रहे सभी नेता अपनी तरफ से कह चुके हैं कि वे रेस में नहीं। लेकिन, पिछले 3 दिन से एक ही सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है कि ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’? इससे पहले 1993 में कांग्रेस विधायक दल के नेता को लेकर जमकर लॉबिंग हुई थी। पांच दिग्गज नेताओं के नाम चले फिर दिग्विजय सिंह और श्यामाचरण शुक्ल के बीच वोटिंग में फैसला हुआ था।

दिल्ली में पीएम निवास पर मंगलवार-बुधवार को नेता चयन से लेकर मंत्रिमंडल सहित अन्य मुद्दों पर लंबा मंथन हुआ। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल के अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम दावेदारों में हैं। वहीं, सीएम चौहान सहित ये सभी नेता अलग-अलग मौकों पर स्पष्ट कर चुके हैं कि वे दौड़ में नहीं। लेकिन भोपाल-दिल्ली तक लॉबिंग थम नहीं रही।

नहीं हुई कुर्सी की उठा-पटक

दो दशक के दौरान मप्र में सीएम की कुर्सी को लेकर सियासी उठा-पटक सामने नहीं आईं। 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा ने 173 सीटें जीत कर नया रिकॉर्ड बनाया था। वह विधायक दल की नेता चुनी गईं। बाद में साढ़े 8 महीने बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। फिर बाबूलाल गौर की इस पद पर ताजपोशी हो गई। सवा साल बाद 29 नवंबर 2005 को गौर का इस्तीफा और शिवराज सिंह चौहान सीएम पद पर काबिज हुए। 18 साल से वही सीएम हैं। 2018 में सवा साल कमलनाथ सरकार आई। 2020 में उथल-पुथल और सिंधिया गुट के समर्थन से बनी नई सरकार में भी शिवराज ने कुर्सी संभाली।

नए चेहरे की चर्चाएं 

पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री शाह और भाजपा हाईकमान की चौंकाने वाली कार्यशैली के चलते भी मप्र की सियासी सरगर्मी एकाएक उफान पर है। भाजपा ने मौजूदा विस चुनाव 2023 किसी भी चेहरे पर नहीं लड़ा। पीएम मोदी का फेस ही सामने रखा गया। भाजपा गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड, उप्र और गुजरात में भाजपा जिस अंदाज में नए चेहरे को बतौर सीएम लाई, उससे मप्र, छग व राजस्थान में नए चेहरे की ही सियासी चर्चाएं हैं।

केंद्र में मंत्री रहे और सांसद सहित राष्ट्रीय पदाधिकारी भी विधायक चुन कर आ गए हैं। ऐसे में दिग्गजों को एडजस्ट करने की चुनौती के बीच डिप्टी सीएम का फॉर्मूला भी चर्चा में आया।

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